रबी सीजन की प्रमुख फसलें—गेहूं और चना—फिलहाल 20–25 दिन की अवस्था में पहुँच चुकी हैं। इस समय किसान गेहूं में पहली सिंचाई के साथ यूरिया डाल रहे हैं, वहीं सिंचित चने में भी शुरुआती सिंचाई की जा रही है। इस समय गेहूं में पीलापन और चने में सूखने (उकठा/विल्ट रोग) की समस्या आमतौर पर देखी जाने लगती है, जो पैदावार को प्रभावित कर सकती है। कृषि विशेषज्ञों ने इसके लिए विस्तृत सलाह जारी की है।
गेहूं में पीलापन कई कारणों से हो सकता है, लेकिन मुख्य रूप से यह नाइट्रोजन की कमी की वजह से होता है।
नाइट्रोजन की कमी से:
इसके अलावा गेहूं में आयरन की कमी, जिंक की कमी, जलभराव, और तापमान में उतार–चढ़ाव भी पीलापन बढ़ाते हैं।
1. नाइट्रोजन की कमी दूर करें
2. आयरन की कमी का समाधान
3. जिंक की कमी
4. जलभराव से बचें
गेहूं में पौष्टिकता बढ़ाने के अतिरिक्त सुझाव
चना फसल में सूखने की समस्या (उकठा/विल्ट रोग)
चना फसल में सूखने का मुख्य कारण उकठा या विल्ट रोग है। यह बीमारी संक्रमित मिट्टी, संक्रमित बीज और अनियमित सिंचाई के कारण तेजी से फैलती है।
उकठा/विल्ट रोग के प्रमुख लक्षण
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह:
1. दवा का छिड़काव
2. वैकल्पिक तरीका
इससे रोग का प्रभाव तेजी से कम होगा और फसल बचाई जा सकती है।
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र सिंह छौक्कर के अनुसार:
दीमक शुरुआती अवस्था में पौधों पर हमला करके उन्हें पूरी तरह सूखा देती है, और पौधे आसानी से उखड़ जाते हैं।
समाधान
यह उपाय दीमक नियंत्रण के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
निष्कर्ष
रबी सीजन में गेहूं और चना दोनों ही नाजुक अवस्था में हैं। पीलापन, पोषक तत्वों की कमी और रोगों का सही समय पर निदान कर किसान उत्पादन में 20–30% तक वृद्धि सुनिश्चित कर सकते हैं।
कृषि वैज्ञानिकों की इन सलाहों को समय पर अपनाने से फसल स्वस्थ रहेगी और पैदावार भी बढ़ेगी।
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