सरसों की फसल में नया रोग! किसान इसे नजरअंदाज न करें, जानिए बचाव के उपाय

सरसों की फसल में नया रोग! किसान इसे नजरअंदाज न करें, जानिए बचाव के उपाय

सरसों की फसल में नया रोग

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Krishi Dunia
  • 29 Nov, 2025 01:45 PM IST ,
  • Updated Sat, 29 Nov 2025 02:48 PM

इस वर्ष अधिक वर्षा और उच्च आर्द्रता के कारण सरसों की बुआई अनुकूल परिस्थितियों में नहीं हो सकी। इसी वजह से सरसों की फसल में जड़ गलन, सफेद फफूंद, उखेड़ा जैसी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। किसानों की मदद के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने अहम सलाह जारी की है।

सरसों की फसल में क्यों बढ़ी समस्याएँ?

विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार लगातार बारिश होने से खेतों की मिट्टी ठीक प्रकार से तैयार नहीं हो सकी। किसानों के पास देरी से बुआई का विकल्प नहीं था, इसलिए उन्हें उच्च नमी वाली मिट्टी में ही फसल लगानी पड़ी।
इस स्थिति के कारण फसल पर कई प्रकार के रोग और कीटों का हमला देखा जा रहा है।

सरसों में दिख रही प्रमुख समस्याएँ

  1. जड़ गलन रोग – पौधे मुरझाने लगते हैं और जड़ के पास सफेद फफूंद दिखाई देती है।
  2. पत्तियों के नीचे सफेद फफूंद – पत्तियाँ पीली होकर अंत में सूख जाती हैं।
  3. उखेड़ा रोग – पहली सिंचाई के बाद पौधे उखड़ने लगते हैं।

पेंटेड बग (चितकबरा कीट) पर सलाह

पहले मौसम में इस कीट का हमला सामान्य रहता था, लेकिन इस वर्ष कम तापमान के कारण इसकी समस्या नहीं दिख रही है।
फिर भी कुछ किसान पुराने तरीके से कीटनाशक डाल रहे हैं।
 विश्वविद्यालय की सलाह:
इस अवस्था में किसी भी प्रकार का कीटनाशक छिड़काव न करें।

सरसों में जड़ गलन का नियंत्रण

जड़ गलन फ्यूजेरियम, राइजोक्टोनिया और स्क्लेरोटियम नामक फफूंदों के कारण होता है। इसके लक्षण 10–15 दिन में ही दिख जाते हैं।

नियंत्रण उपाय:

  • कॉर्बेंडाजिम 0.1% घोल का छिड़काव करें।
  • अधिक पानी के साथ छिड़काव करें ताकि मिट्टी और पौधे पूरी तरह भीग जाएँ।
  • जरूरत हो तो 15 दिन बाद छिड़काव दोहराएँ।

पत्तियों में सफेद फफूंद (फूलिया रोग) का नियंत्रण

पत्ती की निचली सतह पर सफेद फफूंद उभरना फूलिया रोग का मुख्य लक्षण है। इसके कारण पत्तियाँ पीली होकर सूखने लगती हैं।

उपचार:

  • मैंकोजेब (डाइथेन एम-45)
    या
  • मेटलैक्सिल 4% + मैंकोजेब 64%
  • 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

यदि दोनों समस्याएँ साथ दिखें

  • कॉर्बेंडाजिम 0.1% + मैंकोजेब 0.25%
  • दोनों का टैंक-मिक्स छिड़काव करें।
  • आवश्यकता होने पर 15 दिन बाद छिड़काव दोहराएँ।

सिंचाई के बाद पत्तियों का मुरझाना

अत्यधिक नमी और खेत में लंबे समय तक पानी जमा रहने से पत्तियाँ मुरझाने लगती हैं। यही पौधों की शक्ति में कमी का मुख्य कारण है।

विशेष सलाह:

  • सिंचाई बहुत हल्की करें।
  • जहाँ नमी अधिक है, पहली सिंचाई 10 दिन देरी से करें।

उपचार (अगर पौधे कमजोर पड़ें)

  • कार्बेंडाजिम 1 ग्राम + स्टेप्टोसाइक्लीन 0.3 ग्राम प्रति लीटर पानी
  • घोल बनाकर छिड़काव करें।

अधिक पौधे मरने पर क्या करें?

जहाँ पौधे बड़ी संख्या में नष्ट हो गए हैं, वहाँ किसान 10 नवंबर तक दोबारा बुआई कर सकते हैं।
विश्वविद्यालय द्वारा बीज उपलब्ध है।

बीज उपचार

  • कॉर्बेंडाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज
  • बीज को उपचारित कर ही बुआई करें।
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