इस वर्ष अधिक वर्षा और उच्च आर्द्रता के कारण सरसों की बुआई अनुकूल परिस्थितियों में नहीं हो सकी। इसी वजह से सरसों की फसल में जड़ गलन, सफेद फफूंद, उखेड़ा जैसी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। किसानों की मदद के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने अहम सलाह जारी की है।
विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार लगातार बारिश होने से खेतों की मिट्टी ठीक प्रकार से तैयार नहीं हो सकी। किसानों के पास देरी से बुआई का विकल्प नहीं था, इसलिए उन्हें उच्च नमी वाली मिट्टी में ही फसल लगानी पड़ी।
इस स्थिति के कारण फसल पर कई प्रकार के रोग और कीटों का हमला देखा जा रहा है।
पहले मौसम में इस कीट का हमला सामान्य रहता था, लेकिन इस वर्ष कम तापमान के कारण इसकी समस्या नहीं दिख रही है।
फिर भी कुछ किसान पुराने तरीके से कीटनाशक डाल रहे हैं।
विश्वविद्यालय की सलाह:
इस अवस्था में किसी भी प्रकार का कीटनाशक छिड़काव न करें।
जड़ गलन फ्यूजेरियम, राइजोक्टोनिया और स्क्लेरोटियम नामक फफूंदों के कारण होता है। इसके लक्षण 10–15 दिन में ही दिख जाते हैं।
नियंत्रण उपाय:
पत्ती की निचली सतह पर सफेद फफूंद उभरना फूलिया रोग का मुख्य लक्षण है। इसके कारण पत्तियाँ पीली होकर सूखने लगती हैं।
उपचार:
यदि दोनों समस्याएँ साथ दिखें
सिंचाई के बाद पत्तियों का मुरझाना
अत्यधिक नमी और खेत में लंबे समय तक पानी जमा रहने से पत्तियाँ मुरझाने लगती हैं। यही पौधों की शक्ति में कमी का मुख्य कारण है।
उपचार (अगर पौधे कमजोर पड़ें)
अधिक पौधे मरने पर क्या करें?
जहाँ पौधे बड़ी संख्या में नष्ट हो गए हैं, वहाँ किसान 10 नवंबर तक दोबारा बुआई कर सकते हैं।
विश्वविद्यालय द्वारा बीज उपलब्ध है।
बीज उपचार
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