किसान भाइयों, अगर आप सरसों की खेती करते हैं या इसके दामों पर नजर रखते हैं, तो आपके लिए आज की बड़ी खबर बेहद खुशी देने वाली है। देशभर की मंडियों में सरसों के रेट इस समय जोरदार तेजी पर हैं और दाम सीधे MSP को पीछे छोड़ते हुए 7,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुके हैं। खासतौर पर राजस्थान और हरियाणा की मंडियों में जिस तरह से सरसों के भाव उछले हैं, वह किसानों के लिए शानदार कमाई का सुनहरा मौका लेकर आए हैं।
नई MSP घोषणा के बाद भी मंडियों में इसके ऊपर चल रहे भाव ये साबित करते हैं कि इस बार सरसों किसानों की मेहनत का उन्हें भरपूर मूल्य मिल रहा है। अगर आपका स्टॉक अभी भी बचा हुआ है या आप फसल के नए सीजन में काम कर रहे हैं, तो यह रिपोर्ट आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। यहाँ जानें—कहाँ कितने दाम मिल रहे हैं, MSP कितना बढ़ा है और आने वाले दिनों में भाव किस दिशा में जा सकते हैं।
ई-नाम पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार, 2 से 4 दिसंबर 2025 के बीच राजस्थान की कई प्रमुख मंडियों — बारां, मलपुरा, नदबई, नीवाई, खानपुर और हिण्डौन — में सरसों का मॉडल भाव 6,400 से 7,070 रुपये/क्विंटल के बीच रहा।
वहीं हरियाणा की रेवाड़ी मंडी में सरसों का अधिकतम भाव 9,578 रुपये/क्विंटल तक पहुंच गया, जो इस समय देश में सबसे मजबूत रेंज में से एक है।
मंडियों में आवक steady बनी हुई है और खरीद भी मजबूत गति से चल रही है, जिससे किसानों को पिछली लागत की तुलना में शानदार मुनाफा मिल रहा है।
सरकार ने सरसों के MSP में इस वर्ष भी बढ़ोतरी की है।
इस हिसाब से किसानों को 93% तक रिटर्न मिल रहा है। यदि बाज़ार भाव इसी तरह MSP से ऊपर बने रहते हैं, तो रिटर्न प्रतिशत और भी अधिक हो सकता है।
फिलहाल मंडियों में अधिकतर पिछले साल की सरसों की बिक्री हो रही है।
उस समय MSP 5,950 रुपये था, जबकि इस समय दाम 6,500–7,000 रुपये/क्विंटल के आसपास चल रहे हैं।
यानी किसानों को MSP से 600 से 1,100 रुपये तक अधिक की कीमत मिल रही है।
पिछली लागत लगभग 3,011 रुपये/क्विंटल मानी जाती है, जिसके हिसाब से किसानों को दोगुने से भी ज्यादा लाभ प्राप्त हो रहा है।
इस साल रबी सीजन में तिलहन फसलों की बुवाई पिछले वर्ष की तुलना में तेजी से आगे बढ़ी है।
इस समय सरसों किसानों के लिए सबसे लाभकारी तिलहन फसल बनी हुई है। कई जिलों में अभी बुवाई जारी है, जबकि कुछ क्षेत्रों में फसल पहली सिंचाई और खाद-पानी के चरण में पहुंच चुकी है।
हालांकि वर्तमान ट्रेंड किसानों के लिए बेहद उम्मीद जगाने वाला है, लेकिन वास्तविक स्थिति फसल कटने के बाद बाज़ार में आवक बढ़ने पर तय होगी।
अगर आवक नियंत्रित रही और तेल कंपनियों की खरीद तेज बनी रही, तो सरसों के दाम में मजबूती जारी रह सकती है।
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