Agriculture Tips: पालक की फसल को धब्बेदार रोग से बचाएं, इन छिड़कावों से बढ़ेगा उत्पादन और मिलेगा ऊंचा दाम

Agriculture Tips: पालक की फसल को धब्बेदार रोग से बचाएं, इन छिड़कावों से बढ़ेगा उत्पादन और मिलेगा ऊंचा दाम
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कृषि दुनिया
  • 19 Oct, 2025 01:42 PM IST ,
  • Updated Sun, 19 Oct 2025 02:31 PM

पालक की खेती किसानों के लिए एक बेहद लाभदायक फसल मानी जाती है। यह कम लागत और कम समय में तैयार हो जाने वाली फसल है, जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। लेकिन कई बार कीट और रोग फसल की गुणवत्ता को प्रभावित कर देते हैं, जिससे मंडी में पालक के दाम गिर जाते हैं। खासकर जब पत्तों पर धब्बे दिखाई देने लगते हैं, तो यह बाजार में उसकी कीमत को काफी कम कर देता है।

पालक के पत्तों को धब्बेदार होने से बचाएं

पालक की फसल में धब्बेदार रोग (स्पॉट डिजीज) एक आम समस्या है, जो मुख्य रूप से कवक, जीवाणु संक्रमण, कीटों के हमले या पोषक तत्वों की कमी के कारण होती है। यह रोग सबसे पहले पत्तियों पर हल्के पीले या भूरे धब्बों के रूप में दिखाई देता है, जो बाद में पूरे पत्ते को खराब कर देता है। किसानों को जैसे ही ऐसे लक्षण दिखाई दें, तुरंत नियंत्रण के उपाय अपनाने चाहिए।

इससे बचाव के लिए खेत को हमेशा खरपतवार मुक्त रखना जरूरी है। संक्रमित पौधों को तुरंत खेत से निकाल दें ताकि संक्रमण फैल न सके। इसके साथ ही रोग की प्रकृति के अनुसार फफूंदनाशक या कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें। नियमित निगरानी करने से रोग को शुरुआती स्तर पर ही रोका जा सकता है।

फसल में करें ये छिड़काव

पालक की फसल के शुरुआती विकास चरण में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का छिड़काव बेहद जरूरी होता है। इससे पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है और पत्तियां गहरे हरे रंग की तथा रोग-मुक्त रहती हैं। इसके लिए किसान MOP (म्यूरेट ऑफ पोटाश) का छिड़काव कर सकते हैं, जो पौधों में पोटाश की कमी को पूरा करता है और पत्तों की गुणवत्ता को बढ़ाता है।

बुवाई के समय जिंक सल्फेट और सल्फर की बेसल डोज देना भी फायदेमंद होता है। इसके अलावा फसल में NPK घुलनशील उर्वरक का उपयोग करना चाहिए। पालक के लिए नाइट्रोजन की मात्रा अधिक जरूरी होती है, इसलिए 20:10:10 अनुपात वाला NPK सबसे बेहतर माना जाता है। साथ ही, खेत की मिट्टी में गोबर की सड़ी खाद डालने से फसल को जैविक पोषण भी मिलता है।

उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली पालक के फायदे

स्वस्थ और हरे-भरे पत्तों वाली पालक को हमेशा मंडी में अच्छा दाम मिलता है। यदि किसान संतुलित उर्वरक और समय पर कीटनाशक/फफूंदनाशक का प्रयोग करें, तो उत्पादन भी बढ़ता है और गुणवत्ता भी उत्कृष्ट रहती है।

अच्छी देखभाल से तैयार पालक का बाजार मूल्य सामान्य फसल से कहीं अधिक होता है, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होती है। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे रोग प्रबंधन और पोषण संतुलन पर विशेष ध्यान दें ताकि उनकी फसल न केवल हरी-भरी बल्कि मुनाफेदार भी बने।

क्या आप चाहेंगे कि मैं इसमें उपयोग होने वाले प्रमुख फफूंदनाशक और उनका छिड़काव कार्यक्रम (मात्रा और समय सहित) भी जोड़ दूं ताकि लेख और जानकारीपूर्ण बन जाए?

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