जलवायु और तापमान climate and temperature: गेहूँ एक रबी की फसल है, जो अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती है और अप्रैल के अंत में कटाई होती है। इसके लिए मध्यम जलवायु की आवश्यकता होती है। फसल को विकसित करने के लिए 20-25 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर फसल की बढ़वार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। फूल आने के समय कम या ज्यादा तापमान फसल को हानि पहुंचा सकता है।
पानी की मांग Water demand: गेहूँ की फसल को 350-600 मिलीमीटर जल की आवश्यकता होती है। फसल को 120 दिनों के दौरान लगभग 55 सेमी पानी चाहिए। प्रारंभिक अवस्था में नमी युक्त जलवायु की जरूरत होती है, जबकि कटाई के समय गर्म मौसम फसल के लिए फायदेमंद होता है।
मिट्टी Soil: गेहूँ की खेती के लिए बलुई दोमट या चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। कम पीएच वाले क्षेत्रों में चूने का और अधिक पीएच वाले क्षेत्रों में जिप्सम का उपयोग किया जा सकता है।
प्रमुख गेहूँ की किस्मों में "एच आई-1077", "जी डब्ल्यू-322", "करण नरेंद्र डीबीडब्ल्यू 222", "करण श्रिया डीबीडब्ल्यू 252", आदि शामिल हैं। इन किस्मों का उत्पादन अधिक होता है और ये विभिन्न रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती हैं।
बुवाई का समय Time of sowing: उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में गेहूं की बुवाई का उचित समय नवंबर का पहला पखवाड़ा है। उत्तरी-पूर्वी क्षेत्रों में मध्य नवंबर तक बुवाई की जा सकती है। देरी से बुवाई करने पर उपज में कमी आती है।
क्षेत्र की तैयारी और बुवाई Field preparation and sowing: खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए और मिट्टी पलट हल का उपयोग किया जाना चाहिए। बुवाई से पहले बीजों को उपचारित करें और बुवाई की गहराई 5 सेमी होनी चाहिए। बुवाई के बाद पाटा न लगाएं, ताकि बीज गहराई में न जाएं।
फसल चक्र Crop rotation: गेहूँ की फसल के साथ अन्य चारा फसलों का चक्र जैसे शलजम, जौ, और तिपतिया अपनाया जा सकता है, जिससे भूमि की उर्वरकता बनी रहती है।
पानी प्रबंधन Water management: फसल की सिंचाई 4-6 बार करनी चाहिए। बालियों के निकलने के समय सिंचाई सबसे महत्वपूर्ण होती है। सिंचाई खेत के ढाल के अनुसार करें और अंतिम सिंचाई हल्की करें।
फसल की कटाई harvesting crops: बुवाई के 110-120 दिन बाद जब फसल पक जाए, तब उसकी कटाई की जानी चाहिए।