सरसों की फसल खतरे में? माहू कीट और सफेद रतुआ ने बढ़ाई टेंशन, किसान भाई तुरंत अपनाएं ये आसान उपाय

सरसों की फसल खतरे में? माहू कीट और सफेद रतुआ ने बढ़ाई टेंशन, किसान भाई तुरंत अपनाएं ये आसान उपाय

सफेद रतुआ रोग के लक्षण

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कृषि दुनिया
  • 17 Dec, 2025 11:51 AM IST ,
  • Updated Wed, 17 Dec 2025 06:36 PM

किसान भाइयों, अगर आपकी सरसों की फसल इस समय अच्छी बढ़वार में है और आप बेफिक्र हैं, तो जरा रुकिए। सर्दी, कोहरा और बढ़ती नमी के साथ ही सरसों की फसल पर माहू कीट और सफेद रतुआ रोग का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। थोड़ी सी लापरवाही आपकी महीनों की मेहनत पर भारी पड़ सकती है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। अगर समय रहते सही पहचान और सही उपाय कर लिए जाएं, तो फसल को बड़े नुकसान से आसानी से बचाया जा सकता है। इस खबर में जानिए वो 2 जरूरी उपाय, जिन्हें अपनाकर किसान भाई अपनी सरसों की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।

ठंड और नमी से क्यों बढ़ जाता है खतरा?

दिसंबर में सुबह-शाम ठंड बढ़ने के साथ खेतों में नमी बनी रहती है। यही नमी फफूंद जनित रोगों और रस चूसने वाले कीटों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करती है। सरसों की फसल इस समय बढ़वार और फूल आने की अवस्था में होती है, इसलिए इस पर हमला होने पर सीधे पैदावार प्रभावित होती है।

सफेद रतुआ रोग के लक्षण और नुकसान

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सफेद रतुआ (White Rust) सरसों की एक गंभीर बीमारी है। इसकी शुरुआत पत्तियों पर छोटे-छोटे सफेद धब्बों से होती है। धीरे-धीरे ये धब्बे फैलने लगते हैं और पत्तियां कमजोर हो जाती हैं। यदि रोग अधिक बढ़ जाए, तो पौधों की बढ़वार रुक जाती है और दाना भराव भी प्रभावित होता है।

सफेद रतुआ से बचाव का प्रभावी उपाय

सफेद रतुआ से बचाव के लिए किसान मैंकोजेब दवा का उपयोग कर सकते हैं। प्रति एकड़ 600 से 800 ग्राम मैंकोजेब को लगभग 300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना लाभकारी रहता है। यह छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर 2 से 3 बार किया जा सकता है। ध्यान रखें कि छिड़काव साफ मौसम में करें और तेज हवा से बचें, ताकि दवा का असर पूरी फसल पर सही तरीके से हो सके।

माहू कीट का प्रकोप क्यों होता है?

ठंड और कोहरे के कारण खेतों में बढ़ी नमी माहू कीट के प्रकोप को भी बढ़ा देती है। माहू छोटे, हरे रंग के कीट होते हैं, जो पौधों की कोमल टहनियों, फूलों और फलियों का रस चूसते हैं। इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और दानों का विकास ठीक से नहीं हो पाता, जिसका सीधा असर उपज पर पड़ता है।

माहू कीट से बचाव के आसान तरीके

माहू कीट से बचाव के लिए सबसे जरूरी है खेत की नियमित निगरानी। यदि शुरुआती अवस्था में ही कीट दिखाई दें, तो प्रभावित पौधों को निकालकर नष्ट कर दें। इसके बाद 2 प्रतिशत नीम तेल का छिड़काव करना काफी प्रभावी रहता है। अधिक प्रकोप की स्थिति में कृषि विशेषज्ञों की सलाह से मेटासिस्टोक्स जैसे अनुशंसित कीटनाशक का प्रयोग किया जा सकता है।

समय पर देखभाल से बचेगी पैदावार

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि सरसों की फसल में रोग और कीटों से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि समय पर सही कदम उठाना जरूरी है। नियमित निरीक्षण, संतुलित सिंचाई और सही दवा के उपयोग से फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे न केवल पैदावार बनी रहती है, बल्कि किसानों को आर्थिक नुकसान से भी बचाया जा सकता है।

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