अब गोबर भी बनेगा कमाई का जरिया! जानें कैसे बेचकर कमा सकते हैं मोटा पैसा

अब गोबर भी बनेगा कमाई का जरिया! जानें कैसे बेचकर कमा सकते हैं मोटा पैसा

गोबर बेचकर बनें अमीर

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कृषि दुनिया
  • 12 Feb, 2025 01:13 PM IST ,
  • Updated Wed, 12 Feb 2025 02:26 PM

आज के समय में गोबर और अन्य पशु अपशिष्ट सिर्फ बेकार सामग्री नहीं, बल्कि कमाई का एक शानदार जरिया बन चुके हैं। डेयरी फार्म से निकलने वाले गोबर, मूत्र, खाद्य अपशिष्ट और अन्य जैविक अवशेषों का सही प्रबंधन करके न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है, बल्कि इनसे उर्वरक, ऊर्जा और अन्य उपयोगी उत्पाद बनाए जा सकते हैं।

गोबर और पशु अपशिष्ट के लाभकारी तत्व:

गोबर और पशु मूत्र में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने और फसलों की बेहतर पैदावार के लिए आवश्यक होते हैं। जैविक अपशिष्टों के उपयोग से मिट्टी के कार्बनिक तत्वों में वृद्धि होती है, जिससे उसकी जल धारण क्षमता और उपजाऊपन बढ़ती है।

हालांकि, यदि इन अपशिष्टों का सही ढंग से प्रबंधन नहीं किया जाए, तो यह पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। यह वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों (कार्बन डाइऑक्साइड और अमोनिया) की मात्रा बढ़ाकर जलवायु परिवर्तन में योगदान कर सकते हैं। साथ ही, इससे जल स्रोतों का प्रदूषण और संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।

डेयरी फार्म से निकलने वाले अपशिष्टों के प्रकार:

डेयरी फार्म से मुख्य रूप से दो तरह के पशु अपशिष्ट निकलते हैं:

1. ठोस अपशिष्ट (गोबर):

  • डेयरी फार्म से निकलने वाले लगभग 90% अपशिष्ट ठोस रूप में होते हैं।
  • इसमें मीथेन उत्सर्जन मात्र 20% होता है।
  • इस ठोस अपशिष्ट का सही उपयोग खाद और बायोगैस उत्पादन में किया जा सकता है।

2. तरल अपशिष्ट:

  • तरल अपशिष्ट का प्रबंधन करना ज्यादा कठिन होता है।
  • यह कुल अपशिष्ट का छोटा हिस्सा होता है लेकिन 80% मीथेन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार होता है।
  • इसे तालाब, टैंक या लैगून में जमा करके ऑक्सीकरण किया जाता है और फिर इसे सिंचाई के लिए उपयोग में लिया जा सकता है।

पशु अपशिष्ट प्रबंधन के प्रमुख तरीके:

1. खाद बनाना (Composting)
ठोस अपशिष्ट को खाद में बदलकर उर्वरक के रूप में उपयोग किया जा सकता है। यह मिट्टी को 75% तक पोषक तत्व लौटाता है।
एक डेयरी गाय रोज़ाना 20 किलोग्राम तक गोबर का उत्पादन करती है। खाद के गड्ढे बस्तियों से कम से कम 200 मीटर दूर होने चाहिए ताकि बदबू न फैले। खाद बनने की प्रक्रिया के दौरान गड्ढे का तापमान 50°C से 70°C तक पहुंच जाता है।

2. बायोगैस उत्पादन (Biogas Production)
यह अपशिष्ट प्रबंधन का एक आधुनिक और उन्नत तरीका है। इसमें गोबर और अन्य जैविक अपशिष्टों को मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड में बदला जाता है।
मीथेन गैस को ऊर्जा उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिससे बिजली और ईंधन बनाया जा सकता है। यह तरीका ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को भी कम करता है।

3. वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost)
इस तकनीक में केंचुओं की मदद से गोबर को उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद में बदला जाता है।
इस खाद में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। यह मिट्टी की गुणवत्ता और जल धारण क्षमता को बढ़ाता है और फसलों की उत्पादकता में सुधार करता है।

4. तरल अपशिष्ट का उपयोग (Liquid Waste Management)
तरल अपशिष्ट को तालाब, टैंक या लैगून में ऑक्सीकरण करके सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह जल संसाधनों को सुरक्षित रखता है और अपशिष्ट जल को पुनः उपयोग योग्य बनाता है।

5. मछली पालन और शैवाल उत्पादन (Fish Farming & Algae Cultivation)
गोबर और अन्य जैविक अपशिष्टों का उपयोग मछली पालन और शैवाल उत्पादन में किया जा सकता है।
यह मछलियों के लिए अच्छा चारा साबित होता है और जल निकायों की उर्वरता बढ़ाने में मदद करता है।

गोबर और पशु अपशिष्ट से कमाई के शानदार अवसर:

  • बायोगैस प्लांट लगाकर बिजली उत्पादन कर सकते हैं।
  • वर्मीकम्पोस्ट बनाकर जैविक खाद बेच सकते हैं।
  • मछली पालन और शैवाल उत्पादन से अतिरिक्त आय हो सकती है।
  • डेयरी फार्म के अपशिष्टों से जैविक उत्पाद तैयार कर बाजार में बेच सकते हैं।

 अब समय आ गया है कि हम गोबर और पशु अपशिष्ट को व्यर्थ न समझें, बल्कि इसे कमाई का एक शानदार अवसर बनाएं! 

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