दलहन के दाम में भारी गिरावट:
पिछले एक साल में दलहन फसलों के दाम में भारी गिरावट देखी गई है। चना 4.37%, मसूर 7.06%, मूंग 13.91%, अरहर 25.37% और उड़द 26.79% सस्ता हुआ है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलेगा तो भारत दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर कैसे बनेगा?
भारत हर साल 31,000 करोड़ रुपये की दालें आयात करता है, लेकिन अपने ही किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा। इस समय मसूर, मूंग, अरहर और उड़द के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी कम हो चुके हैं। सरकार किसानों को उनकी 100% उपज खरीदने का वादा कर रही है, लेकिन इसके बावजूद बाजार में दाम गिरते जा रहे हैं।
किसान नेता अनिल घनवट का कहना है कि सरकार दलहन आयात पर जोर दे रही है और आयात शुल्क हटा दिया गया है। इससे विदेश से सस्ती दालें बड़ी मात्रा में आ रही हैं, जिसका असर घरेलू बाजार पर पड़ रहा है और किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है।
महाराष्ट्र के अहमदनगर निवासी अनिल घनवट ने बताया कि उन्होंने अपनी अरहर 6600 रुपये प्रति क्विंटल बेची, जबकि इसका MSP 7600 रुपये प्रति क्विंटल है। किसानों को उम्मीद थी कि अरहर के दाम 9000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक होंगे, लेकिन इसके बजाय उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
दलहन के दाम में गिरावट के आंकड़े:
फसल | MSP (रु./क्विंटल) | 8 फरवरी 2025 | 1 साल पहले | 2 साल पहले | 1 साल में गिरावट (%) | 2 साल में गिरावट (%) |
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मूंग | 8682 | 7306.32 | 8487.56 | 7533.68 | -13.91% | -3.01% |
अरहर | 7550 | 7141.81 | 9569.7 | 6908.06 | -25.37% | 3.38% |
उड़द | 7400 | 6754.01 | 9226.28 | 6828.31 | -26.79% | -1.08% |
चना | 5440 | 5801.66 | 6066.9 | 4843.96 | -4.37% | 19.77% |
मसूर | 6425 | 5547.85 | 5969.55 | 6216.11 | -7.06% | -10.75% |
भारत और दलहन उत्पादन:
भारत दुनिया में सबसे बड़ा दलहन उत्पादक देश है। वैश्विक स्तर पर दलहन उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 28% है, जबकि खेती का कुल क्षेत्रफल 38% है। इसके बावजूद हमें दलहन आयात करना पड़ता है क्योंकि घरेलू उत्पादन मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) के अनुसार, साल 2022 में भारत में दलहन की औसत उत्पादकता 766 किलो प्रति हेक्टेयर थी, जबकि वैश्विक औसत 1015 किलो प्रति हेक्टेयर था।
भारत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक सबसे बड़े दलहन उत्पादक राज्य हैं।
✅ रबी सीजन: 150 लाख हेक्टेयर
✅ खरीफ सीजन: 140 लाख हेक्टेयर
✅ जायद सीजन: 20 लाख हेक्टेयर
भारत में लगभग 100 लाख हेक्टेयर में चने और 47 लाख हेक्टेयर में अरहर (तूर) की खेती होती है।
भारत में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिले। सरकार को आयात नीति पर दोबारा विचार करना होगा और स्थानीय किसानों के हितों को प्राथमिकता देनी होगी। यदि किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम नहीं मिला तो वे दलहन उत्पादन से दूरी बना लेंगे, जिससे भारत आत्मनिर्भर बनने के बजाय विदेशी आयात पर अधिक निर्भर हो जाएगा।