हरियाणा में बाजरे की गिरी कीमत: किसानों ने की MSP पर खरीद की मांग

हरियाणा में बाजरे की गिरी कीमत: किसानों ने की MSP पर खरीद की मांग

MSP से कम पर बिक रहा बाजरा

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कृषि दुनिया
  • 04 Oct, 2025 01:27 PM IST ,
  • Updated Sun, 05 Oct 2025 06:37 PM

हरियाणा में बाजरे की सरकारी खरीद शुरू होने के बावजूद, हिसार और भिवानी जिलों में किसानों को निराशा झेलनी पड़ रही है। सरकारी खरीद एजेंसियों की अनुपस्थिति और निजी व्यापारियों के कम दाम देने के कारण किसान मजबूरी में अपनी फसल एमएसपी (MSP) से कम दामों पर बेच रहे हैं। इससे किसानों की आय प्रभावित हो रही है और वे रबी सीजन के लिए अपने खेत तैयार करने के लिए धन जुटाने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं।

हिसार और भिवानी में किसानों की परेशानी

हिसार और भिवानी की मंडियों में किसानों की बाजरे की फसल बिक रही है, लेकिन कीमत एमएसपी से कम मिल रही है।

  • सरकारी खरीद एजेंसियां अभी तक मंडियों में सक्रिय नहीं हैं।
  • किसान मजबूरी में अपनी उपज निजी व्यापारियों को बेच रहे हैं।
  • किसानों को रबी सीजन के लिए पैसे की जरूरत है, इसलिए वे औने-पौने दामों पर फसल बेचने को मजबूर हैं।

किसानों की समस्याओं को देखते हुए अखिल भारतीय किसान सभा ने घोषणा की है कि वह 5 अक्टूबर को फतेहाबाद जिले के भट्टू कलां में राज्य स्तरीय रैली आयोजित करेगी, जिसमें एमएसपी पर बाजरे की खरीद की मांग की जाएगी।

MSP से कम पर बिक रहा बाजरा

  • केंद्र सरकार ने बाजरे का एमएसपी ₹2,775 प्रति क्विंटल तय किया है।
  • भिवानी प्रशासन का कहना है कि किसान को ₹2,200 प्रति क्विंटल पर निजी खरीदारों को उपज बेचने पर भावांतर भरपाई योजना (BBY) के तहत ₹575 प्रति क्विंटल का भुगतान किया जाएगा।
  • लेकिन किसानों का आरोप है कि आढ़ती ₹2,200 प्रति क्विंटल भी नहीं दे रहे और उन्हें ₹1,700 से ₹2,000 प्रति क्विंटल के बीच में फसल बेचनी पड़ रही है।

इस तरह भावांतर योजना के बावजूद किसानों को एमएसपी के बराबर दाम नहीं मिल पा रहा है।

खरीद व्यवस्था में गड़बड़ी पर सख्त निर्देश

भिवानी के उपायुक्त साहिल गुप्ता ने अधिकारियों को निर्देश दिए:

  • खरीद में पारदर्शिता रखी जाए।
  • केवल उन्हीं किसानों से खरीद की जाए, जो ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकृत हैं।
  • हैफेड और हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन से मंडियों में जल्द खरीद शुरू करने के निर्देश।
  • खरीद के दौरान गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की चेतावनी।

डीसी ने बताया कि अब पोर्टल में संशोधन किया गया है, जिससे किसान ₹2,200 से कम या ज्यादा किसी भी दर पर फसल बेचने पर भी 575 रुपये की भावांतर भरपाई प्राप्त कर सकते हैं।

मंडियों में खरीद एजेंसियां नहीं कर रहीं काम

हिसार जिले में लगभग 5,500 क्विंटल बाजरा मंडियों में पहुंच चुका है, लेकिन अभी तक सरकारी एजेंसियों ने एक भी क्विंटल नहीं खरीदा।

  • किसान निजी व्यापारियों की दया पर निर्भर हैं।
  • किसानों का कहना है कि गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के बावजूद उनकी फसल को एजेंसियां खरीदने से इंकार कर रही हैं।
  • एजेंसियों की ओर से उपज को “रंगहीन” या अन्य कमियों का हवाला देकर अस्वीकार किया जा रहा है।

औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर किसान

अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बलबीर ठाकन ने कहा:

  • प्राकृतिक आपदाओं से पहले ही प्रभावित किसान अब औने-पौने दामों पर फसल बेचने के लिए मजबूर हैं।
  • इससे किसानों की आजीविका को नुकसान हो रहा है और राज्य सरकार की साख पर भी असर पड़ रहा है।
  • उन्होंने डीसी से संयुक्त बैठक बुलाने की मांग की, जिसमें सभी एजेंसियों, आढ़तियों और किसान संगठनों को शामिल किया जाए।

उन्होंने जोर देकर कहा कि भावांतर योजना के बावजूद किसानों को केंद्र द्वारा तय एमएसपी नहीं मिल रहा, जबकि सरकार दावा करती है कि हर अनाज खरीदा जा रहा है।

निष्कर्ष

हरियाणा के हिसार और भिवानी जिलों में बाजरे की खरीद में आ रही बाधाओं ने किसानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है।

  • किसानों को फसल की उचित कीमत नहीं मिल रही।
  • सरकारी खरीद एजेंसियों की धीमी कार्यप्रणाली और गुणवत्ता मानकों के नाम पर की जा रही ढिलाई से किसान परेशान हैं।
  • किसान संगठन मांग कर रहे हैं कि सरकार जल्द से जल्द मंडियों में प्रभावी खरीद शुरू करे और एमएसपी की गारंटी सुनिश्चित करे।
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