रायपुर। छत्तीसगढ़ के धान किसानों के लिए राहत भरी खबर है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के तहत 15 नवंबर 2025 से धान की खरीदी शुरू की जाएगी। इस बार किसानों को प्रति क्विंटल ₹3100 के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर भुगतान किया जाएगा। सरकार की यह पहल किसानों को उचित दाम दिलाने और बिचौलियों से बचाने के उद्देश्य से की जा रही है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साई के नेतृत्व में हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि धान की खरीदी 15 नवंबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक चलेगी। सरकार ने बताया कि खरीदी के लिए 2739 धान खरीदी केंद्र पहले से तैयार हैं, साथ ही कई नए केंद्र भी जोड़े जा रहे हैं ताकि किसानों को किसी तरह की परेशानी न हो। इसके अलावा, 55 मंडियां और 78 उपमंडियां भी खरीदी प्रक्रिया में शामिल की जाएंगी।
धान की खरीदी को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए राज्य सरकार ने प्रति एकड़ खरीदी की सीमा तय की है। सरकार प्रति एकड़ अधिकतम 21 क्विंटल धान खरीदेगी। किसानों से अपील की गई है कि वे निर्धारित सीमा के अनुसार ही अपनी उपज लेकर आएं और धान की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें।
धान बेचने के लिए इस बार भी टोकन प्रणाली लागू की जाएगी। इस व्यवस्था के तहत बड़े किसानों को तीन टोकन, जबकि छोटे और सीमांत किसानों को दो टोकन दिए जाएंगे। इससे खरीदी केंद्रों पर भीड़ और अव्यवस्था से बचा जा सकेगा। धान में नमी की मात्रा अधिकतम 17 प्रतिशत तक स्वीकार की जाएगी। इससे अधिक नमी वाले धान को खरीदा नहीं जाएगा।
किसानों को MSP का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में PFMS (Public Financial Management System) के माध्यम से किया जाएगा। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी। हर खरीदी केंद्र पर कंप्यूटर, प्रिंटर, नेटवर्क और यूपीएस जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं ताकि भुगतान प्रक्रिया में किसी तरह की देरी न हो।
राज्य सरकार ने किसानों की सहायता के लिए कॉल सेंटर (1800-233-3663) शुरू किया है, जहां किसान अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा, राज्य और जिला स्तर पर कंट्रोल रूम भी बनाए गए हैं, ताकि किसी भी समस्या का त्वरित समाधान किया जा सके।
राज्य सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे खरीदी के दौरान निर्धारित समय-सारणी का पालन करें, धान की गुणवत्ता बनाए रखें और खरीदी केंद्रों पर अनावश्यक भीड़ से बचें। सरकार का कहना है कि इस साल की खरीदी प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाया गया है ताकि हर किसान को उसके पसीने की सही कीमत मिल सके।