सर्दियों की कड़कड़ाती ठंड और शीतलहर किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। ठंड के मौसम में फसलों को नुकसान पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है, खासकर जब पाला और शीतलहर का प्रभाव तेज हो। इस साल पश्चिमी विक्षोभ के कारण 23 दिसंबर से 5 जनवरी तक ठंड में वृद्धि और हल्की बारिश की भविष्यवाणी की गई है। ऐसे में किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए विशेष सतर्कता बरतनी होगी।
प्रकाश चन्द्र बुनकर ने बताया कि टमाटर, मिर्च, बैंगन, धनिया, मटर, चना, सरसों और गेहूं जैसी फसलें पाले के कारण भारी नुकसान झेल सकती हैं। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि समय पर उठाए गए सही कदम फसलों को नुकसान से बचा सकते हैं।
कृषि विभाग ने पाले और शीतलहर से फसलों को बचाने के लिए पांच प्रमुख उपाय सुझाए हैं। इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं।
कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे मौसम की जानकारी पर नजर रखें और इन उपायों को समय पर अपनाएं। सर्दी के इन कठिन दिनों में सतर्कता ही फसलों को बचाने का सबसे प्रभावी तरीका है।
पाले और शीतलहर का असर: पाला और शीतलहर का सीधा असर फसलों की उपज और गुणवत्ता पर पड़ता है। ठंड के कारण पौधों के ऊतकों में पानी जम जाता है, जिससे उनकी कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। समय पर सावधानी बरतने से न केवल फसलें बचाई जा सकती हैं, बल्कि आर्थिक नुकसान से भी बचा जा सकता है।
निष्कर्ष: कड़कड़ाती ठंड में फसलों को बचाना हर किसान के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है। कृषि विभाग द्वारा सुझाए गए उपाय सरल, प्रभावी और व्यावहारिक हैं। इन्हें अपनाकर किसान न केवल अपनी मेहनत का फल सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि अपनी आय को भी स्थिर बनाए रख सकते हैं। इस ठंड के मौसम में समय पर कदम उठाना ही सबसे बड़ा हथियार है।