किसान किसे कहते हैं? जानें भारतीय कृषि का आधार और किसानों का महत्व

किसान किसे कहते हैं? जानें भारतीय कृषि का आधार और किसानों का महत्व

किसानों का सम्मान करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य

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कृषि दुनिया
  • 28 Dec, 2024 11:30 AM IST ,
  • Updated Sat, 28 Dec 2024 12:30 PM

किसान वह व्यक्ति है जो अपनी मेहनत और परिश्रम से भूमि पर खेती करके अनाज, फल, सब्जियां, और अन्य फसलों का उत्पादन करता है। वह हमारे समाज का वह स्तंभ है जिस पर हमारी खाद्य सुरक्षा आधारित होती है। किसान न केवल अनाज उगाते हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारी थाली में पोषक तत्वों से भरपूर खाना हो। एक किसान का कार्य सुबह से शाम तक चलता है, जिसमें फसल बोने, उसकी देखभाल करने, और उसे काटने तक की प्रक्रियाएं शामिल होती हैं। किसान का जीवन केवल खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि वह प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षक भी होता है।

एक किसान का जीवन कैसा होता है What is the life of a farmer like?

एक किसान का जीवन सरल लेकिन अत्यंत कठिन होता है। वह सूर्योदय से पहले जागता है और अपने खेतों में काम करने निकल जाता है। बारिश हो, धूप हो, या ठंड, किसान का काम कभी रुकता नहीं है। खेती के हर चरण में मेहनत और धैर्य की आवश्यकता होती है, चाहे वह भूमि की जुताई हो, बीजों की बुवाई हो, सिंचाई हो, या फसल की कटाई। खेती के अलावा, किसान को बाजार की अस्थिरता, जलवायु परिवर्तन, और प्राकृतिक आपदाओं जैसी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। कभी-कभी पर्याप्त उपज न होने पर या फसल की सही कीमत न मिलने पर उनका जीवन और भी कठिन हो जाता है। हालांकि, एक किसान का जीवन कठिन होता है, लेकिन उनके मन में एक अलग ही संतोष होता है। अपनी मेहनत से उगाई गई फसल को देखते हुए जो खुशी उन्हें मिलती है, वह अद्वितीय है।

क्यों किसानों के बच्चे किसान नहीं बनना चाहते हैं?

किसानों के बच्चे आजकल खेती से दूर होते जा रहे हैं। इसके कई कारण हैं:

  1. आर्थिक अस्थिरता: खेती में मेहनत तो बहुत होती है, लेकिन उसका प्रतिफल हमेशा सुनिश्चित नहीं होता। खराब मौसम, फसल के सही मूल्य न मिलना, और कर्ज का बोझ खेती को जोखिम भरा बना देता है।
  2. शहरी जीवन का आकर्षण: आज का युवा शहरों में एक सुविधाजनक जीवन और उच्च वेतन वाली नौकरियों की ओर आकर्षित हो रहा है। ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों और संसाधनों की कमी के कारण खेती में रुचि कम होती जा रही है।
  3. शिक्षा और आधुनिकता: शिक्षित बच्चे अब नई तकनीकों और डिजिटल क्षेत्रों में करियर बनाना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि खेती में विकास और प्रगति के सीमित अवसर हैं।
  4. समाज का नजरिया: समाज में किसान का पेशा उतना सम्मानजनक नहीं माना जाता जितना कि डॉक्टर, इंजीनियर, या अन्य पेशे। यह धारणा भी बच्चों को खेती से दूर करती है।

पढ़े-लिखे लोग किसान क्यों नहीं बनते हैं?

शिक्षित लोग खेती को एक पेशे के रूप में चुनने से कतराते हैं, इसके पीछे भी कई कारण हैं:

  1. जोखिम और मेहनत: खेती एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें जलवायु, बाजार और अन्य कई कारकों के कारण जोखिम बहुत अधिक होता है। शिक्षित लोग ऐसी नौकरियों की ओर आकर्षित होते हैं जो स्थिर और सुरक्षित हों।
  2. मुनाफा कमाना: खेती में लाभ कमाने के लिए लंबा समय लगता है। शिक्षित लोग ऐसे क्षेत्रों में जाना पसंद करते हैं जहां कम समय में अधिक लाभ हो।
  3. सरकारी सहयोग की कमी: किसानों को पर्याप्त सरकारी सहायता, आधुनिक उपकरण, और तकनीकी ज्ञान का अभाव होता है, जिससे खेती को अपनाना मुश्किल हो जाता है।
  4. प्रबंधन और पूंजी: खेती शुरू करने के लिए बड़ी पूंजी और भूमि की आवश्यकता होती है। शहरों में बसे शिक्षित लोग अक्सर इस प्रकार की संपत्ति से वंचित होते हैं।
  5. परंपरागत मानसिकता: यह धारणा कि खेती केवल कम शिक्षित या ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का काम है, शिक्षित वर्ग को इस क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकती है।

यदि किसान अनाज ना लगाए तो क्या होगा?

यदि किसान अनाज उगाना बंद कर दें, तो इसका प्रभाव न केवल एक समाज, बल्कि पूरे विश्व पर पडे़गा। इसका वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है:

  1. खाद्य संकट: अनाज, फल, और सब्जियों की कमी के कारण खाद्य संकट उत्पन्न होगा। यह संकट समाज के हर वर्ग को प्रभावित करेगा।
  2. भुखमरी: अनाज की कमी से भूख और कुपोषण की समस्या पैदा होगी। गरीब और मध्यम वर्ग सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
  3. आर्थिक अस्थिरता: कृषि कई उद्योगों के लिए कच्चा माल प्रदान करती है। खेती के बंद होने से यह उद्योग भी बंद हो जाएंगे, जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी।
  4. जीवन का असंतुलन: कृषि पर्यावरण को संतुलित रखने में मदद करती है। यदि खेती बंद हो जाए, तो पर्यावरणीय असंतुलन भी हो सकता है।

किसान नहीं तो अन्न नहीं:

"किसान नहीं तो अन्न नहीं" यह कहावत पूरी तरह सच है। किसान हमारे जीवन की मूलभूत आवश्यकता, अन्न, का उत्पादन करते हैं। उनका महत्व केवल खाद्य उत्पादन तक सीमित नहीं है; वे हमारी सभ्यता और समाज की नींव हैं। किसानों के बिना, न तो उद्योग चल सकते हैं, न ही अर्थव्यवस्था। एक किसान की मेहनत और योगदान को पहचानना और उनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। हमें यह समझना होगा कि किसानों का जीवन सुधारने के लिए नीतियां बनाना और उन्हें संसाधन प्रदान करना न केवल उनका, बल्कि पूरे समाज का कल्याण करेगा।

निष्कर्ष: किसान हमारे समाज के रक्षक और पोषक हैं। उनकी कठिनाइयों को समझना और उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए प्रयास करना हर नागरिक और सरकार का कर्तव्य है। किसान को वह सम्मान और समर्थन देना जरूरी है, जिससे वह गर्व के साथ अपनी अगली पीढ़ियों को खेती के लिए प्रेरित कर सके।

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