सोयाबीन के भाव में लगातार गिरावट, पिछले कुछ वर्षों में सोयाबीन की कीमतों में लगातार गिरावट देखी गई है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। 2023 में मार्च के दौरान सोयाबीन का भाव 5500 रुपये प्रति क्विंटल था, जो 2024 में घटकर 4600 रुपये हो गया। अब 2025 में यह और गिरकर 4100 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच चुका है। लागत में वृद्धि और बाजार में गिरते दामों के कारण किसानों में हताशा बढ़ती जा रही है।
सोयाबीन के दाम गिरने के पीछे कई कारण हैं। मुख्य वजह यह है कि देश में सोयाबीन प्लांट संचालकों द्वारा खरीदी कम की जा रही है। इसके अलावा, वैश्विक बाजार में ब्राजील जैसे देशों में बंपर उत्पादन के कारण सप्लाई बढ़ गई है, जिससे भारत में भी कीमतों पर असर पड़ा है। साथ ही, सरकार की ओर से कुछ नीतिगत फैसले भी इस गिरावट का कारण बन रहे हैं।
केंद्र सरकार भी सोयाबीन के घटते भाव को लेकर चिंतित है। सरकार ने पिछले साल सितंबर में आयात शुल्क में 20% की बढ़ोतरी की थी, लेकिन इसके बावजूद कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई। अब एक बार फिर सरकार खाद्य तेलों के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाने की योजना बना रही है ताकि घरेलू किसानों को राहत मिल सके। इसके अलावा, सरकार ने इस साल 1.47 करोड़ क्विंटल सोयाबीन को समर्थन मूल्य 4892 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा है, जिससे किसानों को कुछ राहत मिली है।
सोयाबीन के व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सोयाबीन तेल के आयात पर शुल्क नहीं बढ़ाया जाता, तब तक कीमतों में सुधार की उम्मीद कम है। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने सोयाबीन और अन्य जिंसों के वायदा कारोबार पर 31 मार्च 2025 तक रोक लगा रखी है, जिससे बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।
भाव में और गिरावट की आशंका: विशेषज्ञों का मानना है कि मार्च में सोयाबीन के भाव में 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की और गिरावट आ सकती है। सरकार ने जो 39 लाख क्विंटल सोयाबीन खुले बाजार में बेचने की योजना बनाई है, उससे बाजार में और अधिक गिरावट आ सकती है। कुछ व्यापारियों का मानना है कि मंडियों में सोयाबीन का भाव 4000 रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे जा सकता है।
किसानों के लिए क्या करें?
इस स्थिति में किसानों को अपनी उपज को जल्दबाजी में बेचने से पहले बाजार की स्थिति का विश्लेषण करना चाहिए। यदि सरकार आयात शुल्क बढ़ाने जैसे कदम उठाती है, तो भविष्य में कीमतों में सुधार हो सकता है। इसके अलावा, किसानों को सोयाबीन के साथ अन्य लाभकारी फसलों की खेती पर भी विचार करना चाहिए ताकि जोखिम को कम किया जा सके।
सोयाबीन की कीमतों में लगातार गिरावट ने किसानों के लिए गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। सरकार की नीतियों और वैश्विक बाजार के प्रभाव को देखते हुए, निकट भविष्य में इसके दाम बढ़ने की संभावना कम दिख रही है। हालांकि, अगर सरकार आयात शुल्क बढ़ाने और अन्य नीतिगत फैसले लेती है, तो कीमतों में कुछ सुधार हो सकता है। किसानों को सतर्क रहकर अपने फैसले लेने की जरूरत है ताकि उन्हें भारी नुकसान से बचाया जा सके।