देशभर में गेहूँ और अन्य रबी फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है। जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, वे ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द की खेती कर सकते हैं। यह न केवल अधिक आय देने वाली फसल है, बल्कि मृदा की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाती है, जिससे अगली फसल की पैदावार बेहतर होती है। साथ ही, इन फसलों की अच्छी उपज से किसान मोटा मुनाफा कमा सकते हैं।
ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द की खेती से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को बीजोपचार, उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण जैसी महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। आइए विस्तार से जानते हैं कि इन फसलों की खेती के लिए किसानों को किन महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए।
किसान को उच्च उत्पादकता देने वाली उन्नत किस्मों के बीजों का चयन करना चाहिए। सही बीज का चयन करने से फसल की पैदावार में वृद्धि होती है और फसल रोगों से भी सुरक्षित रहती है।
ग्रीष्मकालीन उड़द की उन्नत किस्में:
ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत किस्में:
इनमें से कई किस्में पीला मोज़ेक वायरस जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती हैं।
बीजों का सही उपचार करना आवश्यक है, ताकि रोगों से सुरक्षा मिले और अंकुरण बेहतर हो। बीजोपचार करने से फसल का उत्पादन बढ़ता है और रोगों की संभावना कम होती है।
मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करें, ताकि फसल को उचित पोषण मिल सके।
इससे फसल की अच्छी वृद्धि होती है और अधिक उपज मिलती है। यह फसल आमतौर पर दो से ढाई महीने में तैयार हो जाती है।
4. सिंचाई प्रबंधन:
ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। सही समय पर सिंचाई करने से फसल की पैदावार बेहतर होती है।
5. खरपतवार नियंत्रण:
खरपतवार से फसल की वृद्धि प्रभावित होती है, इसलिए नियंत्रण आवश्यक है।
ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द की खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है, क्योंकि यह कम समय में तैयार होने वाली फसल है और मृदा की उर्वरता को भी बढ़ाती है। अधिक उत्पादन के लिए किसान उन्नत किस्मों का चयन, बीजोपचार, संतुलित उर्वरक, उचित सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण पर ध्यान दें।
सरकार की ओर से कृषि विभाग भी किसानों को तकनीकी सहायता एवं सब्सिडी प्रदान करता है। किसान सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द की खेती से अच्छी पैदावार और अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।