ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की बंपर फसल चाहते हैं? कृषि विभाग की ये सलाह जरूर अपनाएं

ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की बंपर फसल चाहते हैं? कृषि विभाग की ये सलाह जरूर अपनाएं

ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द की खेती

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कृषि दुनिया
  • 11 Mar, 2025 01:31 PM IST ,
  • Updated Tue, 11 Mar 2025 07:40 PM

देशभर में गेहूँ और अन्य रबी फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है। जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, वे ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द की खेती कर सकते हैं। यह न केवल अधिक आय देने वाली फसल है, बल्कि मृदा की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाती है, जिससे अगली फसल की पैदावार बेहतर होती है। साथ ही, इन फसलों की अच्छी उपज से किसान मोटा मुनाफा कमा सकते हैं।

ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द की खेती से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को बीजोपचार, उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण जैसी महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। आइए विस्तार से जानते हैं कि इन फसलों की खेती के लिए किसानों को किन महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए।

1. उन्नत बीजों का चयन करें:

किसान को उच्च उत्पादकता देने वाली उन्नत किस्मों के बीजों का चयन करना चाहिए। सही बीज का चयन करने से फसल की पैदावार में वृद्धि होती है और फसल रोगों से भी सुरक्षित रहती है।

ग्रीष्मकालीन उड़द की उन्नत किस्में:

  • पीडीयू 1 (बसंत बहार), आईपीयू 94-1 (उत्तरा), पंत उड़द 19, पंत उड़द 30, पंत उड़द 31, पंत उड़द 35
  • एलयू 391, मैश 479 (केयूजी 479), मुकुंदरा उड़द-2, नरेंद्र उड़द-1, शेखर 1, शेखर 2, आजाद उड़द 1
  • कोटा उड़द 3, कोटा उड़द 4, इंदिरा उड़द प्रथम, यूएच-04-06

ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत किस्में:

  • पूसा वैसाखी, मोहिनी, पंत मूंग 1, एमएल 1, सुनैना, जवाहर 45, कृष्ण 11, पंत मूंग 3, अमृत, जवाहर मूंग-3

इनमें से कई किस्में पीला मोज़ेक वायरस जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती हैं।

2. बीजोपचार करें:

बीजों का सही उपचार करना आवश्यक है, ताकि रोगों से सुरक्षा मिले और अंकुरण बेहतर हो। बीजोपचार करने से फसल का उत्पादन बढ़ता है और रोगों की संभावना कम होती है।

  • प्रति किलोग्राम बीज को 2-2.5 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।
  • 500 मि.ली. स्वच्छ जल में 100 ग्राम गुड़ और 2 ग्राम गोंद मिलाकर गर्म करें।
  • ठंडा करने के बाद राइजोबियम कल्चर (10 कि.ग्रा. बीज) मिलाएं और छाया में सुखाएं।
  • सल्फर धूल और फॉस्फेट घुलनशील बैक्टीरिया (PSB) का उपयोग भी लाभकारी होता है।

3. उर्वरक प्रबंधन:

मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करें, ताकि फसल को उचित पोषण मिल सके।

  • नाइट्रोजन: 15-20 कि.ग्रा./हेक्टेयर
  • फॉस्फोरस: 40-50 कि.ग्रा./हेक्टेयर
  • पोटाश: 40 कि.ग्रा./हेक्टेयर
  • सल्फर: 20 कि.ग्रा./हेक्टेयर
  • जिंक सल्फेट (कमी की स्थिति में): 15-20 कि.ग्रा./हेक्टेयर
  • गोबर खाद: 5.0 टन/हेक्टेयर

इससे फसल की अच्छी वृद्धि होती है और अधिक उपज मिलती है। यह फसल आमतौर पर दो से ढाई महीने में तैयार हो जाती है।

4. सिंचाई प्रबंधन:

ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। सही समय पर सिंचाई करने से फसल की पैदावार बेहतर होती है।

  • फसल के अच्छे विकास के लिए 3 से 4 सिंचाई आवश्यक होती हैं।
  • अधिक सिंचाई करने से पौधों की वानस्पतिक वृद्धि अधिक हो सकती है, जिससे उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • जरूरत के अनुसार हल्की सिंचाई करें, ताकि फसल स्वस्थ बनी रहे।

5. खरपतवार नियंत्रण:

खरपतवार से फसल की वृद्धि प्रभावित होती है, इसलिए नियंत्रण आवश्यक है।

  1. पहली सिंचाई के बाद निराई-गुड़ाई करें। इससे खरपतवार नष्ट होते हैं और मिट्टी में वायु संचार बढ़ता है।
  2. रासायनिक नियंत्रण:
    • एलाक्लोर (4 लीटर/हेक्टेयर) या फ्लूक्लोरालिन (2.22 लीटर/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
    • बुआई के 2-3 दिन के भीतर खरपतवार नाशक का छिड़काव करने से 4-6 सप्ताह तक खरपतवार नहीं निकलते।
  3. बुआई के 15-20 दिनों के अंदर कसोले से निराई-गुड़ाई कर खरपतवार हटा दें।

ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द की खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है, क्योंकि यह कम समय में तैयार होने वाली फसल है और मृदा की उर्वरता को भी बढ़ाती है। अधिक उत्पादन के लिए किसान उन्नत किस्मों का चयन, बीजोपचार, संतुलित उर्वरक, उचित सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण पर ध्यान दें।

सरकार की ओर से कृषि विभाग भी किसानों को तकनीकी सहायता एवं सब्सिडी प्रदान करता है। किसान सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द की खेती से अच्छी पैदावार और अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

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