हरियाणा के अंबाला जिले में इस बार पराली प्रबंधन योजनाओं को किसानों से जबरदस्त सहयोग मिला है। जिले के 37,061 किसानों ने पराली प्रबंधन के लिए पंजीकरण कराया है। यह पंजीकरण लगभग 2.20 लाख एकड़ धान की फसल वाली जमीन पर किया गया है।
सरकार की ओर से किसानों को इन-सिचू (In-Situ) और एक्स-सिचू (Ex-Situ) पराली प्रबंधन के लिए ₹1,200 प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता दी जा रही है। यह योजना ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल के माध्यम से संचालित हो रही है।
अंबाला के कृषि उप निदेशक डॉ. जसविंदर सैनी ने बताया कि इस साल अब तक पराली जलाने का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 9 मामले दर्ज किए गए थे और सीजन के अंत तक 99 मामले सामने आए थे।
सरकार की सख्ती और किसानों की जागरूकता से इस बार स्थिति में काफी सुधार देखा जा रहा है।
पराली प्रबंधन को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने 639 नोडल अधिकारियों को गांव-गांव भेजा है।
सोमवार को हुई बेमौसम बारिश ने किसानों की परेशानियां बढ़ा दी हैं।
मंडियों में धान की आमद और खरीद:
धान को बारिश से बचाने के उपाय:
अंबाला छावनी अनाज मंडी के सचिव नीरज भारद्वाज ने बताया कि बारिश के दौरान मंडियों में रखा धान तिरपाल से ढककर सुरक्षित रखा गया था।
किसानों की जागरूकता से मिला प्रोत्साहन:
अंबाला जिले के किसानों ने पराली जलाने के बजाय सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए पराली प्रबंधन को अपनाया है।
अंबाला के किसानों ने पराली प्रबंधन को अपनाकर एक नई मिसाल पेश की है। सरकारी योजनाओं से मिलने वाली सहायता और जागरूकता अभियानों का असर साफ दिखाई दे रहा है। अगर यह पहल अन्य जिलों में भी इसी तरह सफल होती है, तो पराली जलाने की समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा।