गर्मी के मौसम में, विशेषकर मई महीने में खीरे की फसलों में चिपचिपा झुलसा रोग (Gummy Stem Blight) का प्रकोप तेजी से बढ़ जाता है। यह रोग कद्दू वर्गीय फसलों की एक गंभीर बीमारी मानी जाती है, जो यदि समय रहते न रोकी जाए, तो उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर भारी नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए इस रोग की पहचान और रोकथाम बेहद जरूरी है।
1. उच्च तापमान में रोग का प्रसार तेज होता है
यह रोग विशेष रूप से 30 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में तेजी से फैलता है। हालांकि 15 से 35 डिग्री के बीच भी इसका संक्रमण संभव है। गर्मी बढ़ने पर रोग का प्रभाव अधिक गहरा होता है।
2. अधिक नमी बनती है सहायक
खेत में यदि अत्यधिक नमी, बारिश, ज्यादा सिंचाई या पत्तियों पर पानी जमा हो जाए, तो यह रोग बहुत तेजी से फैलता है। इससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और उपज में गिरावट आती है।
1. पत्तियों पर असर
2. तने पर असर
3. फलों पर असर
थायोफैनेट मिथाइल – 250 से 600 ग्राम प्रति एकड़ की दर से खेत में छिड़काव करें।
कॉपर ऑक्सीक्लोराइड – 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर स्प्रे करें।
मैन्कोजेब – 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
इन उपायों को अपनाकर किसान खीरे की फसल को इस खतरनाक फंगल रोग से प्रभावी रूप से बचा सकते हैं।
अगर आप खीरे की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो चिपचिपा झुलसा रोग की समय पर पहचान और रोकथाम बेहद जरूरी है। सही समय पर दवा का छिड़काव और खेत की देखरेख करके किसान फसल को बचाकर उच्च गुणवत्ता और उपज प्राप्त कर सकते हैं।
खेत की सेहत = किसान की कमाई
सावधानी रखें, समय रहते बचाव करें।