गर्मी का मौसम तेजी से बढ़ रहा है और इसका असर खेतों में खड़ी सब्जियों पर साफ दिखाई देने लगा है। विशेष रूप से टमाटर, मिर्च और बैंगन की फसलों को अधिक तापमान और लू के चलते भारी नुकसान हो सकता है। इस परिस्थिति को देखते हुए दिल्ली स्थित आईसीएआर पूसा संस्थान ने किसानों के लिए एक उपयोगी एडवाइजरी जारी की है।
एडवाइजरी के अनुसार, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे 2% नेफथलीन एसीटिक एसिड (NAA) का घोल तैयार कर उसे खड़ी फसलों पर छिड़कें। यह उपाय फूलों के झड़ने की समस्या को कम करता है और फलों के सही विकास में मदद करता है। इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में सुधार हो सकता है
मूंग की फसल की बुवाई के लिए किसान उन्नत किस्मों का चयन करें जैसे कि पूसा विशाल, पूसा बैसाखी, सम्राट, पीडीएम-11, एसएमएल-668 आदि। बीजों की बुवाई से पहले उन्हें राइजोबियम और फास्फोरस सोल्यूबलाइजिंग बैक्टीरिया से उपचारित करना जरूरी है ताकि अंकुरण बेहतर हो और उत्पादन अधिक मिले। साथ ही, बुवाई करते समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
सिंचाई और खेत की तैयारी से जुड़ी सलाह:
आईसीएआर की एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि आने वाले दिनों में लू चलने की संभावना है, ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि वे हल्की सिंचाई नियमित अंतराल पर करें। इससे सब्जियों, नर्सरी और बगीचों को सूखने और मुरझाने से बचाया जा सकता है। यदि रबी की फसल कट चुकी है तो खेत में पलेवा करें और हरी खाद के लिए ढैंचा, सनई या लोबिया की बुवाई करें।
फलों और सब्जियों की तुड़ाई व कीट नियंत्रण के उपाय:
गर्मी को देखते हुए किसानों को सब्जियों की तुड़ाई सुबह या शाम के समय करनी चाहिए और फिर उन्हें छायादार स्थान पर संग्रहित करना चाहिए। टमाटर, बैंगन जैसी फसलों में फल छेदक कीट से बचाव हेतु खेत में पक्षियों के लिए बसेरा लगाएं, सड़े-गले फलों को मिट्टी में दबा दें, और प्रति एकड़ 2-3 फेरोमोन ट्रैप लगाएं।
अगर कीटों की संख्या अधिक हो जाए, तो बीटी (BT) 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यदि फिर भी असर न हो, तो 15 दिन बाद स्पिनोसैड 48 ईसी @1 मिली/4 लीटर पानी की दर से सुबह या शाम छिड़काव करें।