आम की फसल की सफलता का मुख्य आधार सही समय पर की गई देखभाल है। जनवरी का महीना आम के बाग की देखभाल के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। इस समय पर की गई उचित क्रियाएं न केवल पेड़ों को रोगों और कीटों से बचाती हैं बल्कि फरवरी में आने वाले मंजरों की गुणवत्ता और मात्रा भी बढ़ाती हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, किसानों को जनवरी में ही पेड़ों की विशेष देखभाल शुरू कर देनी चाहिए।
जनवरी के अंत और फरवरी की शुरुआत में आम के पेड़ों पर बौर (मंजर) लगने लगते हैं। इस समय पर अगर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो कीट और रोग फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. ए.के. सिंह के अनुसार, मंजर लगने के दौरान आम के पेड़ों पर मैंगो हॉपर (मथुआ कीट), मिलीबग (दहिया कीट), पाउडरी मिल्ड्यू और एन्थ्रेकनोज जैसे रोगों का प्रकोप हो सकता है। अगर इन कीटों और रोगों का सही समय पर उपचार न किया गया, तो यह मंजर को नष्ट कर सकते हैं, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है।
• छिड़काव को समान रूप से करें ताकि कीटनाशक और फफूंदनाशी पेड़ की हर शाखा तक पहुंच सके।
• छाल की दरारों और मंजर के आसपास विशेष रूप से छिड़काव करें क्योंकि कीट अक्सर इन जगहों पर छुपे रहते हैं।
• छिड़काव के समय मौसम का ध्यान रखें। अधिक तापमान या बारिश के दौरान छिड़काव करने से बचें।
• मैंगो हॉपर (मथुआ कीट)
यह कीट मंजर पर आक्रमण करके उनकी वृद्धि को प्रभावित करता है। इसे नियंत्रित करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड या थायोमेथाक्साम जैसे कीटनाशकों का प्रयोग करें।
• मिलीबग (दहिया कीट)
मिलीबग पेड़ की शाखाओं और मंजर पर चिपक कर उनकी पोषण सामग्री को चूसता है। इसका प्रभावी प्रबंधन करने के लिए मालाथियान और डायमेथोएट जैसे कीटनाशक उपयोगी हैं।
• पाउडरी मिल्ड्यू और एन्थ्रेकनोज
यह फफूंदजनित रोग मंजर को खराब कर सकते हैं। इनके नियंत्रण के लिए सल्फर और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड जैसे फफूंदनाशकों का छिड़काव करें।
जनवरी का महीना आम के बाग की नियमित देखभाल के लिए सबसे उपयुक्त समय है। इस दौरान की गई सावधानी और समय पर छिड़काव न केवल फसल को रोग और कीटों से बचाता है बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा को भी बढ़ाता है।
किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार नियमित रूप से अपने बाग की निगरानी करनी चाहिए और उचित प्रबंधन के जरिए अपनी फसल को रोगमुक्त और उत्पादक बनाना चाहिए।