नवंबर में लगाएं आलू की ये किस्में, 400 क्विंटल तक उपज की गारंटी! — जानिए कैसे करें बुआई

नवंबर में लगाएं आलू की ये किस्में, 400 क्विंटल तक उपज की गारंटी! — जानिए कैसे करें बुआई

नवंबर में लगाएं आलू की ये 3 किस्में

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कृषि दुनिया
  • 09 Nov, 2025 12:37 PM IST ,
  • Updated Sun, 09 Nov 2025 07:20 PM

नई दिल्ली। देशभर में रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही किसान आलू की बुआई की तैयारी में जुट गए हैं। आमतौर पर आलू की अगेती किस्मों की खेती सितंबर से नवंबर के बीच की जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान सही वैरायटी का चयन करें तो आलू की खेती से कम समय में बंपर मुनाफा कमाया जा सकता है।

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि विशेषज्ञ डॉ. एन.सी. त्रिपाठी बताते हैं कि आलू को ‘सब्जियों का राजा’ कहा जाता है। यह एक ऐसी फसल है जो जल्दी तैयार होती है और किसानों को त्वरित आर्थिक लाभ देती है। आलू की मांग सालभर बनी रहती है, इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए एक स्थिर आय का स्रोत बन सकती है।

उन्होंने बताया कि आलू का इस्तेमाल घरों में सब्जी बनाने से लेकर चिप्स और फ्रेंच फ्राइज जैसे खाद्य उत्पादों तक बड़े पैमाने पर किया जाता है। इससे किसानों को अपनी फसल बेचने में किसी तरह की परेशानी नहीं होती।

1. कुफरी अशोक (Kufri Ashoka)

यह आलू की एक अगेती किस्म है, जो विशेष रूप से गंगा के तटीय इलाकों में खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसके कंद सफेद और चिकने होते हैं। पौधे की ऊंचाई लगभग 60 से 80 सेंटीमीटर तक रहती है।
यह किस्म 70 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 40 टन तक की पैदावार देने में सक्षम है। इसकी औसत उपज 290 से 310 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।

2. कुफरी सूर्या (Kufri Surya)

यह किस्म अधिक तापमान सहन करने की क्षमता रखती है, इसलिए इसे गर्म क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है। कुफरी सूर्या आलू के कंद सफेद और बड़े होते हैं।
इसका उपयोग फ्रेंच फ्राइज और चिप्स बनाने में बड़े पैमाने पर किया जाता है। यह फसल 75 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल की पैदावार देती है।

3. कुफरी पुखराज (Kufri Pukhraj)

कुफरी पुखराज भारत की सबसे लोकप्रिय किस्मों में से एक है, जिसका देश के आलू उत्पादन में लगभग 33 प्रतिशत योगदान है। यह किस्म ठंडे इलाकों के लिए बहुत उपयुक्त है और 70 से 90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
इससे प्रति हेक्टेयर 400 से 410 क्विंटल तक की उपज मिलती है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है।

 आलू की खेती क्यों फायदेमंद है?

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आलू की खेती से किसानों को कम समय में अधिक लाभ मिल सकता है। इसकी बाजार में सालभर मांग बनी रहती है। साथ ही, यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन का माध्यम भी बनती है।
आलू एक ऐसी फसल है जो न केवल किसानों को आर्थिक स्थिरता देती है बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाती है।

 सलाह: कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान नवंबर में इन तीन किस्मों — कुफरी अशोक, कुफरी सूर्या और कुफरी पुखराज — की बुआई करें, तो वे आने वाले महीनों में बंपर पैदावार और शानदार मुनाफा कमा सकते हैं।

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