आम के पेड़ों को खोखला कर रहे भुनगा, मिज कीट और खर्रा रोग – जानें बचाव के उपाय

आम के पेड़ों को खोखला कर रहे भुनगा, मिज कीट और खर्रा रोग – जानें बचाव के उपाय

आम के पेड़ों को बचाएं

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कृषि दुनिया
  • 25 Feb, 2025 12:56 PM IST ,
  • Updated Wed, 26 Feb 2025 02:45 PM

उत्तर प्रदेश देश में आम उत्पादन के मामले में नंबर एक राज्य है। यहां आम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन आम के पेड़ बौर से लेकर फल बनने तक कई तरह की बीमारियों और कीटों के प्रकोप से प्रभावित होते हैं। खासकर भुनगा कीट, मिज कीट और खर्रा रोग आम की फसल के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं। अगर सही समय पर रोकथाम के उपाय न किए जाएं, तो यह फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

भुनगा कीट से नुकसान और बचाव:

भुनगा कीट नई कोपलों, बौर और छोटे फलों का रस चूस लेते हैं। इससे प्रभावित हिस्से सूखकर गिर जाते हैं और पेड़ कमजोर हो जाता है। ये कीट चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं, जिससे पत्तियों पर काले रंग की फफूंद जम जाती है। इससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है और पौधा कमजोर पड़ने लगता है।

रोकथाम के उपाय:

  • बौर निकलते समय तीन मिलीलीटर निंबीसिडीन को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • दूसरी बार कार्बोरिल 0.2% या क्वीनालफास 1.3 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

मिज कीट से नुकसान और बचाव:

मिज कीट की मादा आम की मंजरियों और नई कोपलों में अंडे देती है। अंडों से निकली सूड़ियां अंदर ही अंदर फलों और कोपलों को खा जाती हैं, जिससे प्रभावित भाग काला पड़कर सूख जाता है।

रोकथाम के उपाय:

  • फूल खिलने और फल बनने के दौरान मार्शल 1.5 मिली या कंटाफ प्लस 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

खर्रा रोग से नुकसान और बचाव:

खर्रा रोग में आम के फल और डंठल पर सफेद चूर्ण जैसी फफूंद दिखाई देती है। इससे प्रभावित हिस्से पहले पीले होते हैं और फिर सूख जाते हैं।

रोकथाम के उपाय:

  • कैलेक्सीन 3 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • इंडोफिल एम-45 दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

गैस प्रदूषण से आम को बचाने के उपाय:

ईंट-भट्टों के पास लगे आम के बागों में फल सल्फर डाइऑक्साइड गैस के कारण काले पड़ सकते हैं।

बचाव के उपाय:

  • जब फल मटर के दाने के बराबर हो जाएं, तो पांच ग्राम कास्टिक सोडा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • इसी समय सूक्ष्म पोषक तत्व (मल्टीमैक्स या वोरेक्स) एक ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

छिड़काव के समय रखें ये सावधानियां

  • जब पेड़ पर पूरी तरह बौर लदा हो, तो रासायनिक दवाओं का छिड़काव न करें, क्योंकि इससे परागण प्रक्रिया प्रभावित होती है और फलन कम हो सकता है।
  • सभी छिड़काव सुबह या शाम के समय करें, ताकि दवाओं का अधिक प्रभाव हो।

आम को "फलों का राजा" कहा जाता है और इसकी खेती से किसानों को अच्छी आमदनी होती है। लेकिन सही समय पर कीटों और रोगों से बचाव नहीं किया गया, तो पूरी फसल खराब हो सकती है। इसलिए विशेषज्ञों की सलाह मानकर सही दवाओं और जैविक उपायों से आम के बागों की सुरक्षा करें और अच्छी गुणवत्ता वाले आम का उत्पादन करें।

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