उत्तर प्रदेश देश में आम उत्पादन के मामले में नंबर एक राज्य है। यहां आम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन आम के पेड़ बौर से लेकर फल बनने तक कई तरह की बीमारियों और कीटों के प्रकोप से प्रभावित होते हैं। खासकर भुनगा कीट, मिज कीट और खर्रा रोग आम की फसल के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं। अगर सही समय पर रोकथाम के उपाय न किए जाएं, तो यह फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
भुनगा कीट नई कोपलों, बौर और छोटे फलों का रस चूस लेते हैं। इससे प्रभावित हिस्से सूखकर गिर जाते हैं और पेड़ कमजोर हो जाता है। ये कीट चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं, जिससे पत्तियों पर काले रंग की फफूंद जम जाती है। इससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है और पौधा कमजोर पड़ने लगता है।
रोकथाम के उपाय:
मिज कीट की मादा आम की मंजरियों और नई कोपलों में अंडे देती है। अंडों से निकली सूड़ियां अंदर ही अंदर फलों और कोपलों को खा जाती हैं, जिससे प्रभावित भाग काला पड़कर सूख जाता है।
रोकथाम के उपाय:
खर्रा रोग में आम के फल और डंठल पर सफेद चूर्ण जैसी फफूंद दिखाई देती है। इससे प्रभावित हिस्से पहले पीले होते हैं और फिर सूख जाते हैं।
रोकथाम के उपाय:
गैस प्रदूषण से आम को बचाने के उपाय:
ईंट-भट्टों के पास लगे आम के बागों में फल सल्फर डाइऑक्साइड गैस के कारण काले पड़ सकते हैं।
बचाव के उपाय:
छिड़काव के समय रखें ये सावधानियां
आम को "फलों का राजा" कहा जाता है और इसकी खेती से किसानों को अच्छी आमदनी होती है। लेकिन सही समय पर कीटों और रोगों से बचाव नहीं किया गया, तो पूरी फसल खराब हो सकती है। इसलिए विशेषज्ञों की सलाह मानकर सही दवाओं और जैविक उपायों से आम के बागों की सुरक्षा करें और अच्छी गुणवत्ता वाले आम का उत्पादन करें।