Makhana farming: मखाने के दाम में रिकॉर्ड बढ़ोतरी! ₹1200 किलो पर पहुंचा भाव, किसानों की बल्ले-बल्ले

Makhana farming:  मखाने के दाम में रिकॉर्ड बढ़ोतरी! ₹1200 किलो पर पहुंचा भाव, किसानों की बल्ले-बल्ले

मखाने की खेती

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कृषि दुनिया
  • 15 Feb, 2025 01:00 PM IST ,
  • Updated Sat, 15 Feb 2025 02:59 PM

बिहार और उसके आसपास के राज्यों में मखाना (फॉक्स नट) की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि बन चुकी है। हाल ही में इसकी बढ़ती बाजार मांग और सरकारी नीतियों के कारण किसानों को बेहतर मुनाफ़ा मिलने लगा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मखाना बोर्ड की घोषणा के बाद इसकी कीमतें ₹1000-1200 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं। हालांकि, श्रम-साध्य कटाई प्रक्रिया और मशीनीकरण की कमी के कारण अभी भी कई किसान इसकी खेती को लेकर हिचकिचा रहे हैं।

मखाना की खेती में चुनौतियां:

मखाना मुख्य रूप से तालाबों, दलदली भूमि और झीलों में उगाया जाता है, जहां जल स्तर 1-1.5 मीटर तक बना रहता है। इसकी खेती के लिए 20°C से 35°C तापमान, 50-90% सापेक्षिक आर्द्रता और 100-250 सेमी वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।

इसकी खेती की सबसे बड़ी चुनौती इसकी जटिल और श्रम-गहन कटाई प्रक्रिया है। किसानों को पानी में उतरकर बीज इकट्ठा करने पड़ते हैं, जो एक थकाऊ और समय लेने वाला कार्य है।

कटाई के बाद बीजों को सफेद, खाने योग्य मखाने में बदलने के लिए कई जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। इनमें सुखाने, छंटाई, प्री-हीटिंग, टेम्परिंग और उच्च तापमान पर भूनने की प्रक्रिया शामिल होती है। मशीनीकरण की कमी के कारण यह कृषि की सबसे कठिन प्रक्रियाओं में से एक मानी जाती है।

सरकारी पहल और भविष्य की संभावनाएं:

मखाना बोर्ड की स्थापना किसानों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए एक संरचित नियामक प्रणाली प्रदान करेगी। इसका मुख्य उद्देश्य उचित मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करना, वैज्ञानिक नवाचार लाना, निर्यात को बढ़ावा देना और किसानों को खेती का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

मखाना के स्वास्थ्य लाभों के प्रति बढ़ती जागरूकता भी इसकी मांग को बढ़ा रही है। प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर मखाना एक पौष्टिक स्नैक के रूप में शहरी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

हाल के वर्षों में इसकी कीमतों में ₹800-900 प्रति किलो से बढ़कर ₹1000-1200 प्रति किलो तक की वृद्धि हुई है। इससे पता चलता है कि इसकी मांग बढ़ रही है और बेहतर उत्पादन तकनीकों की आवश्यकता है

बिहार मखाना उत्पादन में अग्रणी:

बिहार मखाना उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है। यहां लगभग 38,000 हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती होती है और इससे लगभग 60,000 किसान जुड़े हुए हैं। बिहार में मखाना की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 12-20 क्विंटल तक है, जिससे यह राज्य की एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि बन गई है।

हालांकि, श्रम की कमी, लंबी प्रसंस्करण अवधि और अपर्याप्त अवसंरचना जैसी चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। इन समस्याओं को हल किए बिना मखाना की खेती को पूरी तरह व्यावसायिक रूप से सफल बनाना मुश्किल होगा

तकनीकी नवाचार और निवेश की आवश्यकता:

अगर मखाना की खेती को एक लाभदायक और व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक कृषि गतिविधि बनाना है, तो अनुसंधान और मशीनीकरण में निवेश आवश्यक होगा।

मखाना बोर्ड के माध्यम से सरकार किसानों को प्रशिक्षण, अनुसंधान वित्त पोषण, विशेष मखाना प्रसंस्करण केंद्र स्थापित करने और बाजार से सीधा जुड़ाव सुनिश्चित करने में मदद करेगी

संगठित नीतियों और तकनीकी नवाचारों के साथ, मखाना की खेती किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर बन सकती है। इससे पारंपरिक कृषि को एक आधुनिक और उच्च आय वाली कृषि उद्यम में बदला जा सकता है।

 अगर सही नीतियां और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं, तो मखाना उत्पादन भारत में किसानों के लिए एक बड़ी आर्थिक क्रांति ला सकता है! 

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