मध्य प्रदेश में फिर शुरू हुई भावांतर योजना: 6 लाख से अधिक सोयाबीन किसानों ने कराया पंजीकरण, 24 अक्टूबर से शुरू होगी बिक्री

मध्य प्रदेश में फिर शुरू हुई भावांतर योजना: 6 लाख से अधिक सोयाबीन किसानों ने कराया पंजीकरण, 24 अक्टूबर से शुरू होगी बिक्री
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कृषि दुनिया
  • 17 Oct, 2025 01:22 PM IST ,
  • Updated Fri, 17 Oct 2025 02:14 PM

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के सोयाबीन किसानों को राहत देने के लिए एक बार फिर भावांतर भुगतान योजना (Bhavantar Bhugtan Yojana) की शुरुआत की है। राज्य में इस साल भारी बारिश के कारण सोयाबीन की फसल पर बुरा असर पड़ा है, जिससे किसानों को मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नहीं मिलने की आशंका है। सरकार ने घोषणा की है कि इस योजना के तहत किसानों को बाजार भाव और एमएसपी के बीच के अंतर की राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। योजना की बिक्री प्रक्रिया 24 अक्टूबर 2025 से 15 जनवरी 2026 तक चलेगी।

 योजना का उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना है, ताकि वे बाजार में अपनी फसल बेचते समय भी एमएसपी से कम कीमत पर नुकसान न उठाएं। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर मंडियों में सोयाबीन की कीमतें खरीफ सीजन 2025-26 के लिए तय ₹5,328 प्रति क्विंटल से नीचे जाती हैं, तो यह अंतर 15 दिनों के अंदर किसानों को भुगतान किया जाएगा।

कैसे तय होगा भावांतर का भुगतान

राज्य के कृषि विभाग के सचिव निशांत वरवड़े ने बताया कि सोयाबीन का मॉडल रेट प्रदेश की लगभग 300 मंडियों के पिछले 14 दिनों की औसत बिक्री कीमत के आधार पर तय किया जाएगा। एमएसपी और इस मॉडल रेट के बीच जो अंतर होगा, वही किसानों को भुगतान किया जाएगा। यह भुगतान DBT (Direct Benefit Transfer) के जरिए सीधे किसानों के खातों में किया जाएगा।

अब तक 6 लाख किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन

अधिकारियों के अनुसार अब तक 6 लाख से अधिक किसानों ने इस योजना के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया है। मध्य प्रदेश देश के कुल सोयाबीन उत्पादन का लगभग 35% हिस्सा देता है, इसलिए यह योजना राज्य के कृषि क्षेत्र के लिए बेहद अहम मानी जा रही है। सरकार का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक किसान इस योजना से जुड़कर लाभ प्राप्त करें।

 बारिश ने बिगाड़ा सोयाबीन की फसल

इस साल राज्य के कई हिस्सों में अत्यधिक वर्षा होने से सोयाबीन की फसल को भारी नुकसान हुआ है। नमी और कीट प्रकोप की वजह से फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ा है, जिससे बाजार में भाव गिरने लगे हैं। ऐसे में भावांतर योजना किसानों को बड़ी राहत देने का काम करेगी।

 बिना पंजीकरण नहीं मिलेगा लाभ

सरकार ने साफ किया है कि बिना पंजीकरण कोई किसान इस योजना का लाभ नहीं ले सकेगा। किसानों को DBT पोर्टल पर अपनी सभी जानकारी—जैसे बैंक खाता, भूमि विवरण और फसल डेटा—सही तरीके से भरना होगा। योजना को डिजिटल रूप देने के लिए अब केंद्र सरकार की ‘एग्री-स्टैक्स’ प्रणाली का भी उपयोग किया जा रहा है।

 रजिस्ट्रेशन केंद्रों की संख्या बढ़ी

शुरुआती दौर में किसानों के रजिस्ट्रेशन के लिए 58 सहकारी समितियों पर केंद्र बनाए गए थे। किसानों की बढ़ती भीड़ और मांग को देखते हुए सरकार ने अब इन केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 78 कर दी है, ताकि सभी पात्र किसान आसानी से अपना पंजीकरण करा सकें।

इस तरह, भावांतर योजना एक बार फिर मध्य प्रदेश के किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आई है। यदि योजना का संचालन पारदर्शी तरीके से हुआ तो यह सोयाबीन उत्पादक किसानों की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार ला सकती है।

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