मध्य प्रदेश की मंडियों में प्याज की कीमतें लगातार दबाव में बनी हुई हैं, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है। लागत के मुकाबले बेहद कम भाव मिलने के कारण प्याज की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती दिख रही है। कई जिलों में मंडी भाव 500 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच सिमटे हुए हैं, जबकि उत्पादन लागत इससे कहीं अधिक बताई जा रही है।
किसानों के अनुसार प्याज की खेती में प्रति क्विंटल औसतन 2200 से 2500 रुपये तक का खर्च आता है। इसमें बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई, मजदूरी और ढुलाई जैसे सभी खर्च शामिल होते हैं। ऐसे में जब मंडियों में कीमतें लागत के आधे से भी कम मिल रही हैं, तो किसानों पर आर्थिक दबाव बढ़ना स्वाभाविक है। कई किसान मजबूरी में फसल बेच रहे हैं, क्योंकि भंडारण और आगे की लागत उठाना भी उनके लिए मुश्किल हो रहा है।
नीचे प्रमुख मंडियों के ताज़ा भाव दिए जा रहे हैं, जिससे साफ होता है कि अधिकांश जगहों पर औसत कीमतें अभी भी काफी नीचे हैं:
| मंडी | न्यूनतम (₹/क्विंटल) | अधिकतम (₹/क्विंटल) |
| भोपाल | 410 | 1600 |
| बदनावर | 395 | 800 |
| लश्कर | 600 | 600 |
| इंदौर | 1158 | 2164 |
| खंडवा | 400 | 2400 |
| मंदसौर | 1800 | 1800 |
| शामगढ़ | 410 | 1980 |
| नीमच | 471 | 1920 |
| राजगढ़ | 100 | 1210 |
| नरसिंहगढ़ | 140 | 1270 |
| रतलाम | 100 | 701 |
| रतलाम | 100 | 1600 |
| सीहोर | 501 | 1360 |
| शाजापुर | 201 | 1092 |
| सोयतकलां | 105 | 1060 |
| उज्जैन | 175 | 1555 |
हालांकि कुछ मंडियों में अधिकतम भाव ऊंचे दिख रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि ज्यादातर किसानों की आवक कम दामों पर ही बिक रही है। अच्छी गुणवत्ता और सीमित आवक वाले लॉट्स को छोड़ दें तो औसत किसान को 300 से 900 रुपये प्रति क्विंटल के बीच ही कीमत मिल पा रही है, जो लागत निकालने के लिए पर्याप्त नहीं है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों को आवक की योजना, ग्रेडिंग और जहां संभव हो वहां थोड़े समय के लिए भंडारण जैसे विकल्पों पर विचार करना चाहिए। साथ ही सरकार की ओर से हस्तक्षेप, निर्यात को बढ़ावा और बाजार स्थिरीकरण जैसे कदम उठाए जाते हैं, तो प्याज किसानों को कुछ राहत मिल सकती है।
कुल मिलाकर, मध्य प्रदेश में प्याज के मौजूदा भाव किसानों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं और बाजार में ठोस सुधार के बिना हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं।
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