धान की कटाई के बाद भी खेत को खाली न छोड़ें – पूसा सरसों-32 की खेती से कमाएं दोगुना मुनाफा!

धान की कटाई के बाद भी खेत को खाली न छोड़ें – पूसा सरसों-32 की खेती से कमाएं दोगुना मुनाफा!

पूसा सरसों-32

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कृषि दुनिया
  • 06 Oct, 2025 11:49 AM IST ,
  • Updated Mon, 06 Oct 2025 04:13 PM

किसान भाइयों, अक्सर देखा जाता है कि धान की फसल कटने के बाद खेत लंबे समय तक खाली पड़े रहते हैं या फिर किसान आलू जैसी फसलें लगाते हैं। लेकिन अगर आप इस बार अपने खेत को खाली नहीं छोड़ते और पूसा सरसों-32 (Pusa Sarson-32) की खेती अपनाते हैं, तो कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई है और किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। जल्दी पकने वाली, रोग प्रतिरोधक और अधिक पैदावार देने वाली यह सरसों की किस्म आपके खेत की उत्पादकता बढ़ाकर आपकी आमदनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकती है। धान की फसल के तुरंत बाद इसकी बुवाई करके आप समय का सही उपयोग कर सकते हैं और अगली फसल भी समय पर बो पाएंगे। अगर आप कम लागत और ज्यादा मुनाफा चाहते हैं, तो पूसा सरसों-32 की खेती आपके लिए बेहतरीन विकल्प साबित होगी।

पूसा सरसों-32 की खासियत

पूसा सरसों-32 किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई है। यह किस्म जल्दी पकती है और रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है।

  • बुवाई का समय: सितंबर के अंतिम सप्ताह से 15 अक्टूबर तक
  • उपयुक्त क्षेत्र: राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाके
  • पौधों की ऊंचाई: लगभग 73 सेंटीमीटर
  • फली की संख्या: अधिक, जिससे पैदावार बढ़ती है

जल्दी पकने वाली और अधिक उपज देने वाली

इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत है इसका जल्दी पकना।

  • फसल तैयार होने का समय: 132-145 दिन
  • औसत उत्पादन: 27-28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
    अगर सही समय पर बुवाई और उचित देखभाल की जाए तो उत्पादन इससे भी अधिक हो सकता है।

किसानों के लिए फायदे

  1. कम लागत, अधिक मुनाफा: इस किस्म की खेती में खर्च कम आता है, लेकिन उत्पादन अधिक मिलता है।
  2. रोग प्रतिरोधक: यह किस्म कई तरह की फसली बीमारियों से सुरक्षित रहती है।
  3. तेजी से तैयार होने वाली: जल्दी कटाई होने से किसान अगली फसल समय पर लगा सकते हैं।
  4. उपज में वृद्धि: कम समय में अच्छी उपज मिलने से किसानों की आय बढ़ती है।

खेती के सुझाव

  • धान की कटाई के बाद खेत की अच्छी तरह जुताई करें।
  • मिट्टी की नमी बनाए रखें और आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें।
  • बुवाई सितंबर के अंतिम सप्ताह से 15 अक्टूबर तक करें।
  • समय-समय पर कीट और रोगों पर नजर रखें।

निष्कर्ष

धान की कटाई के बाद खेत खाली छोड़ने के बजाय पूसा सरसों-32 की खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। यह किस्म कम समय में अधिक पैदावार देती है और अच्छी कीमत भी दिलाती है। सही समय पर बुवाई और उचित देखभाल से किसान अपनी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।

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