भारत में परंपरागत फसलों जैसे धान, गेहूं, चना और सरसों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन अब कई किसान नई और अधिक मुनाफेदार फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। जबलपुर के किसान दक्षिण अमेरिका के सुपरफूड ‘किनोवा’ की खेती कर रहे हैं और इससे उन्हें पारंपरिक फसलों की तुलना में कहीं अधिक मुनाफा हो रहा है। यह फसल न केवल सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसकी खेती भी आसान है और लागत भी कम आती है।
किनोवा की खेती में लागत बहुत कम आती है, जबकि मुनाफा अधिक होता है। जबलपुर के किसानों ने इसकी खेती सिर्फ तीन एकड़ में शुरू की थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 70 एकड़ तक कर दिया है। एक एकड़ में इसकी खेती करने में करीब ₹15,000 की लागत आती है, जबकि इससे शुद्ध मुनाफा ₹50,000 तक हो सकता है। यह धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक फायदेमंद साबित हो रहा है।
किनोवा को एक सुपरफूड माना जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन और अमीनो एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं। यह फाइबर और आयरन का अच्छा स्रोत है, जिससे एनीमिया जैसी समस्या नहीं होती। इसके अलावा, यह दिल के लिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि यह खराब कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol) को कम करने में मदद करता है। इसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ होता है।
किनोवा की सबसे खास बात यह है कि छुट्टा जानवर इसे नहीं खाते, जिससे किसानों की फसल सुरक्षित रहती है। इसके अलावा, इसमें कीट और रोगों का प्रभाव बहुत कम होता है, जिससे किसान कीटनाशकों पर खर्च किए बिना अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। यह पूरी तरह ऑर्गेनिक फसल के रूप में उगाई जा सकती है, जिससे इसका बाजार मूल्य और भी अधिक बढ़ जाता है।
किनोवा की खेती से होने वाला मुनाफा:
किनोवा की खेती से किसानों को बहुत अच्छा मुनाफा हो रहा है।
किनोवा: भविष्य की फसल:
किनोवा की मांग लगातार बढ़ रही है और यह पोषण से भरपूर अनाज माना जाता है। इसे भारत में भथुआ भी कहा जाता है, लेकिन यह आम भथुआ से काफी अलग और अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होता है। जबलपुर के किसान इसे बड़े पैमाने पर उगा रहे हैं और इससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है।
जो किसान अब भी पारंपरिक खेती कर रहे हैं, उनके लिए किनोवा की खेती एक बेहतरीन अवसर हो सकती है। कम लागत, अधिक उत्पादन, छुट्टा जानवरों से बचाव और बाजार में बढ़ती मांग इसे एक आदर्श फसल बनाती है। जबलपुर के किसानों की यह पहल निश्चित रूप से भविष्य में अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बनेगी।