रबी फसलों के बुवाई का सीजन शुरू होते ही, जैसे गेहूं, सरसों और चना की खेती के लिए किसान डीएपी खाद की खरीदारी में जुट जाते हैं। डीएपी खाद फसलों की बेहतर पैदावार के लिए महत्वपूर्ण है। इस समय इसकी मांग इतनी बढ़ गई है कि किसानों को सरकारी खाद वितरण केंद्रों और सहकारी समितियों पर लंबी कतारों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे खाद की उपलब्धता में कठिनाइयां हो रही हैं।
राज्य सरकारें डीएपी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विशेष कदम उठा रही हैं, लेकिन कई स्थानों पर खाद की कमी, मारपीट और कालाबाजारी की घटनाएं सामने आई हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार ने नए नियम लागू किए हैं और किसानों को अपनी आवश्यकता के अनुसार ही खाद खरीदने की सलाह दी है।
अब डीएपी खाद खरीदने के लिए किसानों को तीन महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आवश्यकता होगी:
इन दस्तावेजों के बिना डीएपी खाद का वितरण नहीं किया जाएगा।
खाद वितरण प्रणाली में सुधार Improvement in fertilizer distribution system: खाद वितरण को व्यवस्थित करने के लिए सरकारी समितियों में अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। अब किसानों को उनके खेत के क्षेत्रफल के आधार पर खाद प्रदान की जाएगी।
ये भी पढें... रबी फसलों गेहूं, चना, सरसों में नैनो डीएपी एवं नैनो यूरिया का सही उपयोग, जानें कृषि वैज्ञानिकों से
किसानों को डीएपी खाद सरकारी खाद वितरण केंद्रों पर सब्सिडी के तहत ₹1350 प्रति बोरी की दर से मिल रही है। वहीं, बाजार में इसकी कीमत ₹1600 से ₹2100 प्रति बोरी तक हो सकती है। इस भारी मूल्य अंतर को देखते हुए सरकार ने खाद वितरण प्रणाली पर कड़ी निगरानी रखी है। कालाबाजारी की रोकथाम के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं।
उत्तर प्रदेश में डीएपी की आपूर्ति की स्थिति: उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने हाल ही में डीएपी खाद की आपूर्ति पर समीक्षा बैठक की। इस बैठक में नवंबर 2024 के लिए भारत सरकार द्वारा आवंटित डीएपी के वितरण की समीक्षा की गई। प्रमुख उर्वरक कंपनियों द्वारा आपूर्ति का प्रतिशत इस प्रकार है:
आने वाले दिनों में खाद की आपूर्ति: कृषि मंत्री ने बताया कि भारत सरकार द्वारा 127 रैक फास्फेट उर्वरक भेजे गए हैं, जिनमें से 86 रैक पहुंच चुके हैं और 41 रैक रास्ते में हैं। अगले 2-3 दिनों में इनकी आपूर्ति पूरी हो जाएगी, जिससे किसानों को खाद की उपलब्धता में राहत मिलेगी।
कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई: उर्वरक विक्रेताओं को निर्देश दिया गया है कि वे डीएपी खाद का वितरण अधिकतम विक्रय मूल्य (MRP) पर ही करें। यदि कोई विक्रेता कालाबाजारी या अधिक मूल्य पर बिक्री करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इसमें प्राथमिकी दर्ज करना और उर्वरक बिक्री लाइसेंस रद्द करना शामिल है।
निष्कर्ष: डीएपी खाद की बढ़ती मांग के बीच, सरकार ने वितरण प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। किसानों को उचित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराना और कालाबाजारी रोकना सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए नई प्रक्रियाएं लागू की गई हैं, जिससे किसानों को राहत मिलेगी और फसलों की बेहतर पैदावार सुनिश्चित होगी।
ये भी पढें... रबी फसलों के लिए कौन सा पोटाश बेहतर? लाल या सफेद, जानें विशेषज्ञों की राय