तरबूज की खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है। खासतौर पर अर्का मानिक किस्म की खेती अधिक उपज देने वाली होती है और इसकी बाजार में मांग भी काफी ज्यादा रहती है। यह किस्म कम लागत में अधिक उत्पादन देती है, जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा मिलता है।
अर्का मानिक तरबूज की एक उन्नत किस्म है, जो बुकनी रोग और पौध गलन रोग से बचाव में सहायक होती है। इसके अलावा, यह चूर्णी आसिता, मृदुरोमिल आसिता और एन्थ्रेक्नोज़ जैसी बीमारियों से भी सुरक्षित रहती है। इस वजह से किसान इस किस्म की खेती कर अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
तरबूज की अर्का मानिक किस्म की खेती के लिए उचित मिट्टी और जलवायु का ध्यान रखना जरूरी होता है। इस किस्म के लिए मध्यम काली और रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि फसल को पर्याप्त नमी मिले, लेकिन जलभराव न हो।
बुआई के लिए उत्तम गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना जरूरी होता है। बुआई से पहले बीजों का उपचार अवश्य करें ताकि फसल को बीमारियों से बचाया जा सके। तरबूज की खेती में जैविक खाद का उपयोग करने से उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर होती है, इसलिए बुआई के समय गोबर की खाद और जैविक उर्वरकों का प्रयोग करें। गर्मी के मौसम में फसल को समय-समय पर सिंचाई की आवश्यकता होती है, इसलिए उचित मात्रा में पानी देना जरूरी है।
तरबूज की अर्का मानिक किस्म की फसल बुआई के लगभग 110-115 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है। यदि सही देखभाल की जाए और उचित सिंचाई की व्यवस्था की जाए, तो इस किस्म से उच्च गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त की जा सकती है।
यदि कोई किसान एक हेक्टेयर में तरबूज की अर्का मानिक किस्म की खेती करता है, तो उसे लगभग 60 टन तक की उपज प्राप्त हो सकती है। बाजार में तरबूज की मांग अधिक होने के कारण किसान एक एकड़ में लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं। इस किस्म की खेती से किसानों को बंपर पैदावार के साथ अच्छा लाभ भी मिल सकता है।
तरबूज की अर्का मानिक किस्म की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली खेती है। यह किस्म जलवायु के प्रति अधिक सहनशील होती है और विभिन्न बीमारियों से भी सुरक्षित रहती है। यदि आप भी तरबूज की खेती कर अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो इस उन्नत किस्म की खेती जरूर करें।