Sugarcane farming: शरदकालीन गन्ने की ये टॉप किस्में देंगी 100 टन तक उपज, जानें कौन-सी है सबसे बेस्ट

Sugarcane farming: शरदकालीन गन्ने की ये टॉप किस्में देंगी 100 टन तक उपज, जानें कौन-सी है सबसे बेस्ट

गन्ने की टॉप किस्में

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कृषि दुनिया
  • 04 Feb, 2025 10:08 AM IST ,
  • Updated Tue, 04 Feb 2025 03:15 PM

गन्ना किसानों के लिए एक प्रमुख नकदी फसल है, जिससे वे अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। भारतीय बाजार में गन्ने की मांग और कीमत दोनों ही उच्च होती हैं। यदि किसान उन्नत किस्मों की खेती करें, तो वे कम लागत और कम समय में अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। खासतौर पर शरदकालीन गन्ने की खेती से उच्च उत्पादन संभव है।

शरदकालीन गन्ने की खेती के फायदे:

शरदकालीन गन्ने की उन्नत किस्में तेजी से बढ़ती हैं और इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है। ये किस्में 95 से 100 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज देने की क्षमता रखती हैं। साथ ही, इनमें चीनी की मात्रा अधिक होती है, जिससे गुड़ और चीनी उद्योग को अधिक लाभ मिलता है। इसके अलावा, इन किस्मों में कीटों और रोगों का प्रकोप कम होता है, जिससे किसानों को कम देखभाल में अधिक मुनाफा मिलता है।

शरदकालीन गन्ने की टॉप किस्में:

1. को-17018 एवं को-16030 (करण-16):

  • को-17018 गन्ने की इस नई किस्म में लाल सड़न रोग नहीं आता। यह लवणीय मिट्टी में भी अच्छे उत्पादन की क्षमता रखती है।
  • यह प्ररोह छेदक, डंठल छेदक और शीर्ष छेदक के प्रति कम संवेदनशील होती है।
  • इसका उत्पादन भी अच्छा है, और ठोस गन्ने होने के कारण यह गिरने की समस्या को रोकती है।
  • को-16030, जिसे करण-16 के नाम से भी जाना जाता है, यह गन्ना प्रजनन संस्थान करनाल द्वारा विकसित की गई एक उन्नत किस्म है।
  • इसमें व्यावसायिक उपज और अधिक चीनी की रिकवरी की विशेषता है, जिससे यह अधिक लाभकारी साबित होती है।

2. को-15023:

  • उत्पादन क्षमता: 92-98 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज।
  • विशेषता: इस किस्म में मिठास अधिक होती है और रस की मात्रा भी ज्यादा होती है।
  • उपयोग: यह किस्म गुड़ बनाने के लिए उपयुक्त होती है।

3. कोसा-18231 (UP स्पेशल किस्म):

  • उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए विशेष रूप से विकसित यह किस्म रोग प्रतिरोधक होती है।
  • यह प्रति हेक्टेयर 90.16 टन तक उत्पादन देने में सक्षम है।

4. को-शा-13235 (अगेती किस्म):

  • इस किस्म का गन्ना सीधा, मोटा और हल्के हरे-पीले रंग का होता है।
  • इसमें कीटों और रोगों का प्रकोप बहुत कम होता है।
  • इस किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर 81-92 टन तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।

5. कोलख-14201:

  • यह किस्म प्रति हेक्टेयर 95 टन तक पैदावार देने में सक्षम है।
  • इसमें शर्करा की मात्रा 18.60% और पोल प्रतिशत 14.55% तक पाई जाती है।
  • इस किस्म में बेधक कीटों का प्रकोप भी कम होता है, जिससे इसकी खेती अधिक फायदेमंद साबित होती है।

अन्य अच्छी पैदावार देने वाली किस्में:

इसके अलावा, किसान को-0118, को-15023, को-17018, को-16030 और को-5011 की खेती कर सकते हैं। इन सभी किस्मों के बीज गन्ना प्रजनन केंद्र, करनाल से प्राप्त किए जा सकते हैं।

गन्ने की उच्च पैदावार के लिए महत्वपूर्ण बातें:

गन्ने की अच्छी उपज के लिए हर तीन साल में किस्म बदलनी चाहिए। इससे कीट और रोगों का प्रकोप कम होता है। गन्ने के लिए 8-10 महीने पुराना स्वस्थ बीज सबसे उपयुक्त होता है।
बीज उपचार के लिए कार्बेन्डाज़िम या थायोफिनेट मिथाइल के घोल में गन्ने का उपचार करना चाहिए। गन्ने की खेती दोमट और काली दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी होती है।
गन्ने की उन्नत पैदावार के लिए प्रति हेक्टेयर 120-150 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 50-60 कि.ग्रा. फॉस्फोरस और 30-40 कि.ग्रा. पोटाश की आवश्यकता होती है।
बुआई के 110-120 दिनों बाद नाइट्रोजन की आधी मात्रा (60-75 कि.ग्रा./हेक्टेयर) डालनी चाहिए।
खेत में खरपतवार को नियंत्रित करना और समय पर सिंचाई करना बहुत जरूरी होता है।
दीमक और अंकुर बेधक कीट से बचाव के लिए क्लोरोपायरीफॉस का छिड़काव करना चाहिए।

शरदकालीन गन्ने की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है। यदि किसान को-17018, को-16030, को-15023, कोसा-18231, को-शा-13235 और कोलख-14201 जैसी उन्नत किस्मों की खेती करें, तो वे प्रति हेक्टेयर 95-100 टन तक गन्ना उत्पादन कर सकते हैं। साथ ही, सही कृषि तकनीक अपनाकर और उचित उर्वरक व सिंचाई प्रबंधन करके किसान अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं।

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