Sugarcane farming: गन्ने की बुवाई कब करें? जानें सही समय और ये 13 सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्में

Sugarcane farming: गन्ने की बुवाई कब करें? जानें सही समय और ये 13 सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्में

गन्ने की खेती

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कृषि दुनिया
  • 15 Feb, 2025 02:02 PM IST ,
  • Updated Mon, 17 Feb 2025 02:24 PM

गन्ने की बसंतकालीन बुआई का सही समय मध्य फरवरी से मार्च के अंत तक होता है। गन्ने की खेती लगभग हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन दोमट और काली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस दौरान तापमान 30-35 डिग्री सेल्सियस रहने पर गन्ने की अच्छी वृद्धि होती है।

अगर किसान सही समय पर बुआई करें और उन्नत प्रजातियों का चयन करें, तो वे कम समय और कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। गन्ने की खेती को लाभकारी बनाने के लिए स्वस्थ और प्रमाणित बीजों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है।

गन्ने की उन्नत किस्में (टॉप वैरायटी):

गन्ने की पैदावार बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय अनुकूलता के अनुसार उन्नत किस्मों का चयन करना जरूरी है।

  1. पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश के लिए शीघ्र पकने वाली किस्में:

  • सीओ 98014 (करन-1)
  • सीओ 0118 (करन-2)
  • सीओ 0238 (करन-4)
  • सीओ 0214 (करन-5)
  • सीओ 0237 (करन-8)

 2.  पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए प्रमुख किस्में:

  • को. शा. 8436
  • को. शा. 687

 3. पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश के लिए मध्य और देर से पकने वाली किस्में:

  • सी.ओ.एच.-110
  • सी.ओ.एस.-767
  • सी.ओ.एच.-1148
  • सी.ओ.एच.-199
  • सी.ओ.एच.-99
  • सी.ओ.एस.-8436

गन्ने की बुआई का सही तरीका:

गन्ने की बुआई 15 से 20 मार्च तक पूरी करनी चाहिए। बीज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए गन्ने के टुकड़ों को 250 ग्राम एरिटान को 100 लीटर पानी में घोलकर 5 मिनट तक उपचारित करें।

बुआई की दूरी और गहराई:

  • 75-90 सें.मी. दूरी पर बनी कूंडों में 10 सें.मी. की गहराई पर बुआई करें।
  • बीज की मात्रा:
    • 1 आंख वाले टुकड़े: 1,33,750 प्रति हेक्टेयर
    • 2 आंख वाले टुकड़े: 60,000-65,000 प्रति हेक्टेयर
    • 3 आंख वाले टुकड़े: 40,000-45,000 प्रति हेक्टेयर
    • बीज की कुल मात्रा: 60-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

अधिक पैदावार के लिए अपनाएं ये उपाय:

गन्ने के साथ अन्तर्वर्ती खेती (Intercropping) करने से अधिक लाभ होता है। 75 सें.मी. की दूरी पर बोई गई गन्ने की दो पंक्तियों के बीच उड़द की दो पंक्तियां आसानी से लगाई जा सकती हैं। इससे उड़द को अलग से उर्वरक देने की जरूरत नहीं पड़ती, और किसान को अतिरिक्त आय होती है।

गन्ने की खेती में उर्वरक प्रबंधन:

यदि मृदा परीक्षण किया गया है, तो उसके अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करें। अगर मृदा परीक्षण उपलब्ध नहीं है, तो सामान्य रूप से प्रति हेक्टेयर ये उर्वरक डालें:

  • 60-75 कि.ग्रा. नाइट्रोजन
  • 80 कि.ग्रा. फॉस्फोरस
  • 60 कि.ग्रा. पोटाश

गन्ने की पेड़ी की फसल के लिए उर्वरक प्रबंधन:

  • 90 कि.ग्रा. नाइट्रोजन गन्ना काटने के तुरंत बाद डालें।
  • इतनी ही मात्रा तीसरी सिंचाई के समय दें।

खरपतवार एवं कीट नियंत्रण के उपाय:

गन्ने की पेड़ी से अच्छी फसल लेने के लिए खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है। बुआई के तुरंत बाद एट्राजिन 2 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

सिंचाई प्रबंधन:

  • 12-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।

कीट नियंत्रण:
गन्ने की फसल को दीमक और कनसु कीट से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

  • 2.5 लीटर क्लोरपायरीफॉस 20 ई.सी.
  • 2.5 लीटर गामा बी.एच.सी. 20 ई.सी.
  • 600 मि.ली. फिप्रोलिन 5 एस.सी.

इन सभी का 600-800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।

इसके अलावा, 150 मि.ली. इमिडाक्लोरोप्रिड को 250-300 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें ताकि फसल सुरक्षित रहे।

गन्ने की बसंतकालीन खेती से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों का चयन, सही समय पर बुआई, उर्वरक प्रबंधन और कीट एवं खरपतवार नियंत्रण जैसे उपाय अपनाना आवश्यक है।

अगर किसान सही तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों का पालन करें, तो कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

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