UP में गोवंश संरक्षण और ग्रामीण रोजगार का बड़ा प्रोजेक्ट – जानिए ‘काऊ टूरिज्म’ की पूरी योजना"

UP में गोवंश संरक्षण और ग्रामीण रोजगार का बड़ा प्रोजेक्ट – जानिए ‘काऊ टूरिज्म’ की पूरी योजना"

काऊ टूरिज्म

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कृषि दुनिया
  • 15 Oct, 2025 01:04 PM IST ,
  • Updated Wed, 15 Oct 2025 01:40 PM

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब राज्य की गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अनोखी पहल करने जा रही है। इसके तहत प्रदेश के 75 जिलों में "काऊ टूरिज्म" (Cow Tourism) को बढ़ावा दिया जाएगा। इस योजना के जरिए न केवल गोशालाओं को आर्थिक रूप से मजबूत किया जाएगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।

 गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की योजना

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लिया है कि हर जिले में एक आदर्श गोशाला स्थापित की जाएगी, जिसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इन "काऊ टूरिज्म सेंटर" में आगंतुकों को गायों की देखभाल, दुग्ध उत्पादन प्रक्रिया, गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादों की जानकारी दी जाएगी

 गाय से मिलने वाले उत्पादों का व्यावसायिक उपयोग

पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि योगी सरकार का लक्ष्य है — गाय से मिलने वाले उत्पाद जैसे गोबर, गोमूत्र, दूध, दही, घी और मूत्रजनित उत्पादों का व्यावसायिक उपयोग बढ़ाना। इससे न केवल गोशालाएं आत्मनिर्भर होंगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई पहचान मिलेगी।

 महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी

सरकार ने यह भी तय किया है कि इस अभियान में महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को जोड़ा जाएगा। इन समूहों के माध्यम से गोबर से बने उत्पाद — जैसे दीप, मूर्तियां, सजावटी सामग्री आदि — तैयार की जाएंगी और स्थानीय बाजारों में बेची जाएंगी। दीपावली जैसे त्योहारों पर इन उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

 ‘वोकल फॉर लोकल’ को मिलेगा बल

पशुधन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया कि गोशालाओं में गोबर और गोमूत्र के व्यावसायिक उपयोग के लिए स्थानीय योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इनसे ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और “वोकल फॉर लोकल” के तहत स्वदेशी उत्पादों की मांग भी बढ़ेगी।

 ग्रामीण पर्यटन और अर्थव्यवस्था को नई पहचान

इस “काऊ टूरिज्म” योजना से ग्रामीण इलाकों में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। गांवों में आने वाले पर्यटक न केवल गौसेवा का अनुभव कर सकेंगे, बल्कि देसी उत्पादों की खरीदारी भी कर पाएंगे। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और गोवंश संरक्षण को भी नई दिशा मिलेगी।

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