सिर्फ इस तकनीक से यूपी के किसान ने गन्ने की रिकॉर्डतोड़ पैदावार पाई, आप भी जानें तरीका

सिर्फ इस तकनीक से यूपी के किसान ने गन्ने की रिकॉर्डतोड़ पैदावार पाई, आप भी जानें तरीका

गन्ने की किस्म

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कृषि दुनिया
  • 04 Apr, 2025 10:38 AM IST ,
  • Updated Fri, 04 Apr 2025 03:31 PM

उत्तर प्रदेश के किसानों ने अपनी मेहनत और आधुनिक कृषि तकनीकों के सहारे खेती में नए आयाम स्थापित किए हैं। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी शाहजहांपुर जिले के प्रगतिशील किसान कौशल कुमार की है, जिन्होंने गन्ने की खेती में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने गन्ने की उन्नत किस्म और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर न सिर्फ पैदावार को बढ़ाया, बल्कि अपनी आय में भी कई गुना वृद्धि की। उनकी यह सफलता उन किसानों के लिए प्रेरणा बन सकती है, जो पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं। आइए जानते हैं उनकी इस कामयाबी का राज।

गन्ने की किस्म और खेती की तकनीक Sugarcane variety and cultivation technique:

कौशल कुमार ने उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान (UPCSR) द्वारा विकसित गन्ने की किस्म 13235 (सहज-5) का चयन किया। उन्होंने 5 फीट की दूरी पर 2 आंख वाले गन्ने की रोपाई की और 1.5 फीट की दूरी पर पौधे लगाए। साथ ही, उन्होंने अंतरफसल के रूप में शिमला मिर्च की खेती कर अतिरिक्त आमदनी भी हासिल की।

खाद एवं उर्वरक का इस्तेमाल Use of manure and fertilizers:

उन्होंने बुवाई से पहले ढैंचा लगाया और खेत में 200 क्विंटल गोबर की खाद डाली। इसके अलावा, उन्होंने:

  1. 10 किलो ट्राइकोडरमा
  2. 150 क्विंटल सिंगल सुपर फॉस्फेट
  3. 25 किलो यूरिया
  4. 25 किलो पोटाश
  5. 10 किलो सागरिका का प्रयोग किया।

इसके अलावा, दो बार यूरिया और एक बार ट्राइकोडरमा डालने से प्रति एकड़ 1050 क्विंटल गन्ने की पैदावार मिली, जबकि राज्य की औसत पैदावार 373 क्विंटल प्रति एकड़ है।

कम लागत, अधिक उत्पादन का मंत्र Mantra of low cost, high production:

  • पुराने तरीके से खेती करने पर बीज की मात्रा 40 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, लेकिन कौशल कुमार ने इसे घटाकर 8 क्विंटल प्रति एकड़ कर दिया।
  • गन्ने की पंक्तियों के बीच 5 फीट की दूरी रखने से पौधों को बेहतर पोषण मिला और उत्पादन में वृद्धि हुई।

गन्ने की बंपर पैदावार का राज: रोजा गन्ना मिल के सलाहकार ओ.पी. गुप्ता ने बताया कि कौशल कुमार ने:

  1. सही किस्म का चयन,
  2. सही समय पर बुवाई,
  3. सटीक दूरी का पालन,
  4. इंटरक्रॉपिंग तकनीक,
  5. जैविक खाद और गोबर की खाद का उपयोग किया।

इससे न केवल उनकी पैदावार बढ़ी, बल्कि लागत में भी कमी आई।

किसानों के लिए सबक: कौशल कुमार की यह सफलता इस बात को साबित करती है कि यदि किसान सही तकनीक, मेहनत और वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाएं तो वे अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते हैं और कृषि में नए कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं।

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