बढ़ता तापमान बना किसानों के लिए मुसीबत! गेहूं, दलहन और सब्जियों पर मंडराया खतरा

बढ़ता तापमान बना किसानों के लिए मुसीबत! गेहूं, दलहन और सब्जियों पर मंडराया खतरा

बढ़ता तापमान किसानों के लिए काल

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कृषि दुनिया
  • 05 Mar, 2025 11:42 AM IST ,
  • Updated Wed, 05 Mar 2025 04:08 PM

मार्च में बढ़ता तापमान और फसलों पर असर:

मार्च की शुरुआत के साथ ही देशभर में तापमान में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस समय कई राज्यों में रबी फसलों की कटाई जारी है, जबकि कुछ इलाकों में देर से बुवाई के कारण कटाई की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। ऐसे में बढ़ता तापमान गेहूं, दलहन और सब्जियों जैसी फसलों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

रबी फसलों की उत्पादकता पर प्रभाव:

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, मौसम में हो रहे बदलावों का सीधा असर रबी फसलों की उत्पादकता पर पड़ रहा है। विशेष रूप से गेहूं, चना, मसूर, मटर जैसी दलहन फसलें और टमाटर, भिंडी, फूलगोभी जैसी सब्जियां अत्यधिक गर्मी के कारण प्रभावित हो सकती हैं।

गेहूं की फसल पर बढ़ते तापमान का प्रभाव:

गेहूं की फसल के लिए 24-26 डिग्री सेल्सियस का अधिकतम और 10-12 डिग्री सेल्सियस का न्यूनतम तापमान उपयुक्त माना जाता है। लेकिन हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण फरवरी-मार्च में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। इससे गेहूं की फसल जल्दी पककर तैयार हो जाती है, जिससे दाने हल्के हो जाते हैं और गुणवत्ता प्रभावित होती है। कृषि विभाग के अनुसार, इस बार गेहूं के उत्पादन में 10-15% तक की गिरावट आ सकती है।

गेहूं फसल प्रबंधन के उपाय:

  • अंतिम सिंचाई थोड़ी देर से करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे।
  • सुबह और शाम के समय हल्की सिंचाई करें, जिससे तापमान का असर कम हो।
  • पोटाश और जैविक खाद का उपयोग करें ताकि पौधों की सहनशक्ति बढ़े।

दलहन फसलों पर बढ़ते तापमान का असर:
दलहन फसलों जैसे चना, मसूर और मटर के फूलने और फल बनने की अवस्था में अधिक गर्मी से परागण प्रभावित होता है। इससे पैदावार में 15-20% तक की गिरावट आ सकती है।

दलहन फसलों का बचाव:

  • शाम के समय हल्की सिंचाई करें ताकि पौधों को ठंडक मिल सके।
  • जैविक खाद और सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करें ताकि पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े।
  • मल्चिंग (गीली घास या प्लास्टिक शीट) का उपयोग करें, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहे।

सब्जियों की फसलों पर प्रभाव और समाधान:
सब्जियों की फसलें अत्यधिक तापमान के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। तापमान बढ़ने से इनकी जल की मांग बढ़ जाती है, जिससे सिंचाई आवश्यकताएं बढ़ती हैं। इसके अलावा, अधिक गर्मी के कारण फल और फूल झड़ने की समस्या भी आती है।

सब्जियों की फसलों के लिए उपाय:

  • ड्रिप इरिगेशन तकनीक अपनाएँ, जिससे जल की बचत होगी और पौधों को पर्याप्त पानी मिलेगा।
  • नेट हाउस या शेड नेट का उपयोग करें ताकि पौधों को सीधी धूप से बचाया जा सके।
  • जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें ताकि पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।

मार्च का मौसम और कृषि पर प्रभाव:
मौसम विभाग के अनुसार, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में मार्च के दौरान तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। इस महीने का औसत तापमान 21 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। मार्च के पहले सप्ताह में कुछ इलाकों में बादल छाए रह सकते हैं, लेकिन चौथे सप्ताह में हीट वेव (लू) चलने की संभावना है।

विशेष रूप से इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल, सागर और रीवा संभाग में 3 से 4 दिन लू चलने की संभावना है। 20 मार्च के बाद कुछ जिलों में हल्की बारिश होने की संभावना भी जताई गई है।

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह: मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बार बारिश सामान्य से कम होगी और तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। ऐसे में किसानों को फसलों की देखभाल के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है।

बढ़ता तापमान गेहूं, दलहन और सब्जियों की फसलों के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। किसानों को इस चुनौती से निपटने के लिए समय पर सिंचाई, जैविक खादों का उपयोग और आधुनिक तकनीकों को अपनाना होगा। यदि उचित प्रबंधन नहीं किया गया, तो फसल उत्पादन में भारी नुकसान हो सकता है।

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