देर से बुआई करने वाले किसानों के लिए उच्च पैदावार देने वाली गेहूं की नई किस्म WH 1309
देर से बुआई करने वाले किसानों के लिए उच्च पैदावार देने वाली गेहूं की नई किस्म WH 1309
WH 1309 गेहूं की नई पछेती किस्म
कृषि दुनिया
08 Oct, 2025 04:06 PM IST ,
Updated Wed, 08 Oct 2025 05:17 PM
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCSHAU) के वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक नई पछेती किस्म WH 1309 विकसित की है, जो खासतौर पर देर से बुआई करने वाले किसानों के लिए लाभदायक साबित होगी। यह किस्म गर्मी सहनशील है और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित इलाकों में भी अच्छी पैदावार देती है।
देर से बुआई करने वाले किसानों के लिए खास
हरियाणा में धान की कटाई में देरी, जलभराव और मौसम की अनियमितताओं के कारण लगभग 15-20% क्षेत्र में गेहूं की बुआई देर से होती है। ऐसे किसानों को अक्सर पैदावार में नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन अब WH 1309 किस्म की बदौलत किसान जनवरी के पहले सप्ताह तक गेहूं की बुआई कर सकते हैं और अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि यह किस्म मार्च महीने की गर्मी को भी सहन कर सकती है, जिससे गेहूं की पैदावार पर तापमान बढ़ने का नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।
WH 1309 गेहूं किस्म की पैदावार
सिंचित परिस्थितियों में इस किस्म की औसत उपज 55.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है।
इसकी अधिकतम उपज 64.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हुई।
किसानों के खेत पर किए गए प्रयोगों में इस किस्म की औसत उपज 54.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही, जो कि चेक किस्म WH 1124 (48.2 क्विंटल/हेक्टेयर) से लगभग 12.7% अधिक है।
जनवरी माह में देर से की गई बिजाई पर भी 40-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार दर्ज की गई।
WH 1309 की खासियत
यह किस्म पीला रतुआ, भूरा रतुआ और अन्य प्रमुख बीमारियों के प्रति रोगरोधी है।
गर्मी सहनशील, जिससे मार्च की बढ़ी हुई गर्मी का असर पैदावार पर नहीं होता।
जैविक खेती और लवणीय मिट्टी वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।
लंबी बालियाँ, मोटे और चमकीले दाने।
फसल गिरने का खतरा बेहद कम, पौधों की ऊँचाई केवल 98 सेंटीमीटर।
83 दिन में बालियाँ निकलती हैं और 123 दिन में फसल पककर तैयार हो जाती है।
दानों में 13.2% प्रोटीन, 81.9 हेक्टोलीटर वजन और 54 मिली अवसादन मान, जो चपाती बनाने के लिए उत्तम है।
बुआई का समय और बीज की मात्रा
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग के अनुसार:
बुआई का उपयुक्त समय: 1 दिसंबर से 20 दिसंबर तक।
बीज की मात्रा: 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।
खाद और उर्वरक की सिफारिश
WH 1309 की अधिकतम पैदावार प्राप्त करने के लिए निम्न मात्रा में उर्वरक उपयोग करें:
शुद्ध नाइट्रोजन: 150 किलोग्राम/हेक्टेयर
फॉस्फोरस: 60 किलोग्राम/हेक्टेयर
पोटाश: 30 किलोग्राम/हेक्टेयर
जिंक सल्फेट: 25 किलोग्राम/हेक्टेयर
किसानों के लिए लाभ
पछेती बिजाई के लिए आदर्श किस्म।
कम समय में तैयार होकर उच्च पैदावार देती है।
गर्मी और रोगों से सुरक्षा प्रदान करती है।
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बावजूद स्थिर उत्पादन देती है।
दाने मोटे, पौष्टिक और चपाती के लिए बेहतरीन गुणवत्ता के होते हैं।
निष्कर्ष: WH 1309 गेहूं की नई पछेती किस्म देर से बुआई करने वाले किसानों के लिए लाभदायक और भरोसेमंद विकल्प है। यह जलवायु परिवर्तन के असर को झेलते हुए अधिक पैदावार देने में सक्षम है और किसानों को स्थिर आय प्रदान कर सकती है।