पटना में फैला बर्ड फ्लू! होली से पहले चिकन खाने वालों के लिए अलर्ट, पोल्ट्री फार्म में मची तबाही

पटना में फैला बर्ड फ्लू! होली से पहले चिकन खाने वालों के लिए अलर्ट, पोल्ट्री फार्म में मची तबाही

पटना में बर्ड फ्लू अलर्ट

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कृषि दुनिया
  • 10 Mar, 2025 12:20 PM IST ,
  • Updated Mon, 10 Mar 2025 12:40 PM

बिहार की राजधानी पटना में बर्ड फ्लू (Avian Influenza) का खतरा एक बार फिर बढ़ गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्वी परिसर में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है, जिसके बाद संस्थान में करीब 200 मुर्गियों को मार दिया गया है। इस स्थिति को देखते हुए बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय भी अपने पोल्ट्री फार्म को संक्रमण से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है।

ICAR में कैसे फैला बर्ड फ्लू?

ICAR पटना में कुछ दिन पहले अचानक कई मुर्गियों की मौत हो गई। स्थिति को गंभीर देखते हुए मुर्गियों के सैंपल ICAR की हाई सिक्योरिटी लैब, भोपाल भेजे गए। जांच रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई, जिसके बाद संस्थान ने सभी मुर्गी वार्ड खाली करा दिए। साथ ही, एक किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी पोल्ट्री फार्म को अलर्ट कर दिया गया और संक्रमण के फैलाव की निगरानी शुरू कर दी गई।

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय भी सतर्क:

ICAR कैंपस के सामने बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का पोल्ट्री फार्म स्थित है, जिसे संक्रमण का खतरा हो सकता है। स्थिति को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने अपने पोल्ट्री फार्म में मौजूद सभी मुर्गियों को मारने और उनके दाने नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह कदम जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाएगा ताकि संक्रमण के खतरे को रोका जा सके।

ICAR ने उठाए कड़े कदम:

ICAR के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पी.सी. चंद्रन ने बताया कि संस्थान ने बर्ड फ्लू की पुष्टि होते ही तुरंत कार्रवाई की। फार्म में मौजूद करीब 130 मुर्गियाँ और 60 बत्तखें मार दी गईं और उन्हें ज़मीन में दफना दिया गया। फार्म की संपूर्ण सफाई और सैनिटाइजेशन का कार्य तेजी से किया जा रहा है, ताकि संक्रमण पूरी तरह समाप्त हो जाए।

बर्ड फ्लू के नियंत्रण के लिए सरकार का प्रोटोकॉल:

भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, अगर किसी पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू का मामला सामने आता है, तो उस फार्म के 1 किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी पोल्ट्री फार्म के पक्षियों को मार दिया जाता है। यह नियम सरकारी और निजी दोनों पोल्ट्री फार्म पर लागू होता है। भले ही मुर्गियाँ स्वस्थ हों, फिर भी संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए उन्हें नष्ट किया जाता है।

पोल्ट्री किसानों को सतर्क रहने की जरूरत:

बर्ड फ्लू के संक्रमण को रोकने के लिए पोल्ट्री किसानों को जैव सुरक्षा उपायों का सख्ती से पालन करने की सलाह दी गई है। पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोग अपने फार्म के आसपास ऊँचे पेड़ों की टहनियाँ काट दें, ताकि कौवे वहाँ न बैठ सकें। यदि फार्म के पास कौवे दिखाई दें, तो उन्हें तुरंत भगा दिया जाए।

इसके अलावा, फार्म में बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक लगानी चाहिए। मुर्गियों को ले जाने वाले वाहनों को फार्म के बाहर ही रोका जाए और फार्म में काम करने वाले मजदूरों के लिए अलग-अलग कपड़े अनिवार्य किए जाएँ – फार्म के अंदर और बाहर के लिए अलग-अलग कपड़े पहनने की व्यवस्था हो।

बर्ड फ्लू के लक्षण क्या हैं?

अगर किसी पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू का संक्रमण फैलता है, तो कुछ शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं।

  • मुर्गियाँ खाना-पीना बंद कर देती हैं।
  • अचानक बड़ी संख्या में मुर्गियों की मौत होने लगती है।
  • अगर पहले दिन 20 मुर्गियाँ मरती हैं, तो दूसरे दिन यह संख्या तेजी से बढ़ सकती है।

अगर पोल्ट्री किसान ऐसे लक्षण देखें, तो तुरंत जिला पशुपालन विभाग को सूचित करें।

क्या पोल्ट्री व्यवसाय पर पड़ेगा असर?

फिलहाल पटना में बर्ड फ्लू का व्यापक असर नहीं देखा जा रहा है। ICAR में जिन मुर्गियों में संक्रमण मिला, वे शोध से जुड़ी थीं। अब तक बॉयलर और लेयर मुर्गियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन पोल्ट्री कारोबारियों को सतर्क रहने की जरूरत है।

बर्ड फ्लू के प्रकोप को रोकने के लिए कड़े जैव सुरक्षा उपाय अपनाने की जरूरत है। अगर सही सावधानी बरती जाए, तो इस संक्रमण के फैलाव को रोका जा सकता है।

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