Ekadashi 2025 भागलपुर, अक्तूबर 2025 — कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाने वाली देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2025) इस वर्ष 1 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के योगनिद्रा से जागृत होते हैं, और इसी के साथ सभी शुभ मांगलिक कार्य, विवाह, गृह प्रवेश और अन्य धार्मिक संस्कारों की शुरुआत मानी जाती है।
देवउठनी एकादशी, जिसे देवोत्थान या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, का अत्यंत धार्मिक महत्व है। इस दिन भक्तगण भगवान विष्णु को जगाने के लिए घंटा, शंख, मृदंग और भजन-कीर्तन के साथ “उठो देव, जागो देव” का जयघोष करते हैं।
मान्यता है कि चातुर्मास के चार महीनों तक भगवान विष्णु पाताल लोक में योगनिद्रा में रहते हैं, और देवउठनी एकादशी के दिन उनके जागने से पृथ्वी पर धार्मिक और मांगलिक कार्यों का आरंभ होता है।
देवउठनी एकादशी के दिन श्रद्धालु प्रातः स्नान कर व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा के दौरान तुलसी दल, दीपदान, धूप, चावल, दूध, और पंचामृत का प्रयोग किया जाता है।
इस अवसर पर घरों और मंदिरों में तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान विष्णु का विवाह तुलसी माता से कराया जाता है। यह विवाह प्रतीकात्मक रूप से देव और मानव के मिलन का प्रतीक माना जाता है।
इस वर्ष देवउठनी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:15 बजे से 08:45 बजे तक रहेगा।
व्रतधारी भक्त दिनभर उपवास रखकर शाम को भगवान विष्णु की आरती और भजन-कीर्तन करते हैं।
अगले दिन, 2 नवंबर 2025 को पारण का समय सुबह 06:30 बजे से 08:00 बजे तक रहेगा।
बिहार और पूर्वी भारत में विशेष उत्सव
देवउठनी एकादशी का पर्व अंग प्रदेश, कोसी और मिथिला क्षेत्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन मंदिरों में घंटा-शंख की गूंज, भक्ति गीत और आरती के साथ आध्यात्मिक वातावरण बना रहता है। श्रद्धालु इस दिन भगवान विष्णु से सुख, समृद्धि और मोक्ष की कामना करते हैं।