छोटे और सीमांत किसानों की खेती को आसान और लाभकारी बनाने के लिए सरकार बड़ा कदम उठा रही है। अब किसानों को महंगे कृषि यंत्र खरीदने की मजबूरी नहीं होगी, क्योंकि गांव-गांव कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Center) खोले जा रहे हैं। इन केंद्रों के माध्यम से किसान कम किराए पर आधुनिक कृषि मशीनों का उपयोग कर सकेंगे, जिससे खेती की लागत घटेगी और आमदनी बढ़ेगी।
कस्टम हायरिंग सेंटर खुलने से किसानों को एक ही जगह पर ट्रैक्टर, रोटावेटर, थ्रेसर, कल्टीवेटर जैसे कई कृषि यंत्र उपलब्ध हो जाते हैं। बिहार सरकार ने चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत बड़ा फैसला लेते हुए हर पंचायत में कस्टम हायरिंग सेंटर खोलने की योजना बनाई है।
वर्तमान में राज्य की लगभग 950 पंचायतों में कस्टम हायरिंग सेंटर संचालित हैं। वहीं वर्ष 2025-26 के दौरान 267 नए कस्टम हायरिंग सेंटर खोले जाने का प्रस्ताव है। यह योजना खास तौर पर बिहार के किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां करीब 90 प्रतिशत किसान लघु और सीमांत श्रेणी में आते हैं।
सरकार का उद्देश्य है कि छोटे किसान भी आधुनिक खेती कर सकें। कस्टम हायरिंग सेंटर से सबसे ज्यादा फायदा लघु, सीमांत और महिला किसानों को मिलेगा, जो महंगे कृषि यंत्र खरीदने में सक्षम नहीं होते।
इन केंद्रों पर ट्रैक्टर, रोटावेटर, सीड ड्रिल, थ्रेसर सहित अन्य मशीनें किराए पर उपलब्ध कराई जाती हैं। इससे किसानों का समय और मेहनत दोनों की बचत होती है और खेती अधिक वैज्ञानिक तरीके से हो पाती है।
सरकार कस्टम हायरिंग सेंटर खोलने के लिए किसानों और संगठनों को 10 लाख रुपये तक का अनुदान देती है। यह सहायता राशि निम्न वर्गों को मिल सकती है—
इस अनुदान से किसान या समूह आधुनिक मशीनों से लैस एक मजबूत कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित कर सकते हैं।
कस्टम हायरिंग सेंटर खुलने से किसानों की खेती में कई तरह से सुधार होगा। सबसे बड़ा फायदा यह है कि खेती की लागत में कमी आएगी और उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। मशीनों की मदद से खेत की तैयारी, बुवाई और कटाई समय पर हो पाएगी।
मजदूरों पर निर्भरता कम होगी, जिससे किसानों का खर्च घटेगा। साथ ही समय पर फसल तैयार होने से किसानों को बाजार में बेहतर दाम मिलने की संभावना भी बढ़ेगी। कुल मिलाकर यह योजना किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती को लाभकारी बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।
प्रश्न 1: कस्टम हायरिंग सेंटर क्या होता है?
उत्तर: कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) एक ऐसा केंद्र होता है, जहां किसानों को ट्रैक्टर, थ्रेसर, रोटावेटर, सीड ड्रिल जैसे आधुनिक कृषि यंत्र बहुत कम किराए पर उपलब्ध कराए जाते हैं।
प्रश्न 2: कस्टम हायरिंग सेंटर से किन किसानों को लाभ मिलता है?
उत्तर: इसका लाभ मुख्य रूप से छोटे, लघु और सीमांत किसानों को मिलता है, साथ ही महिला किसान और मजदूरों पर निर्भर किसान भी इससे लाभान्वित होते हैं।
प्रश्न 3: कस्टम हायरिंग सेंटर में कौन-कौन से कृषि यंत्र मिलते हैं?
उत्तर: यहां ट्रैक्टर, रोटावेटर, पावर टिलर, थ्रेसर, सीड ड्रिल, रीपर, स्प्रे मशीन सहित कई आधुनिक कृषि यंत्र किराए पर मिलते हैं।
प्रश्न 4: कस्टम हायरिंग सेंटर खोलने के लिए कितना अनुदान मिलता है?
उत्तर: योग्य किसानों और संस्थाओं को कस्टम हायरिंग सेंटर खोलने के लिए सरकार की ओर से 10 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाता है।
प्रश्न 5: कस्टम हायरिंग सेंटर कौन खोल सकता है?
उत्तर: प्रगतिशील किसान, जीविका समूह, स्वयं सहायता समूह, किसान उत्पादक संगठन (FPO), किसान उत्पादक कंपनी, पैक्स, किसान क्लब और फार्मर इंटरेस्ट ग्रुप कस्टम हायरिंग सेंटर खोल सकते हैं।
नवीनतम अपडेट