गर्मियों में पशुपालन करना आसान नहीं होता, खासकर जब पानी की कमी हो। इस मौसम में हीट स्ट्रेस और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं पशुओं के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। ऐसे हालात में हरा चारा एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभरता है, जो न सिर्फ पोषण देता है, बल्कि पशुओं के शरीर में पानी की कमी भी पूरी करता है।
एनिमल एक्सपर्ट्स के अनुसार, एक किलो हरे चारे में औसतन 3 से 4 लीटर तक पानी की मात्रा होती है। यानी अगर पशुओं को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा हो, तो हरा चारा कुछ हद तक उसकी भरपाई कर सकता है। यही कारण है कि गर्मियों में पशुओं के आहार में हरे चारे को प्राथमिकता दी जाती है।
हालांकि हरा चारा उपयोगी है, लेकिन जरूरत से ज्यादा हरे चारे का सेवन करने से पशुओं में पेट फूलने (अफरा) जैसी समस्या हो सकती है। इसलिए चारा देते समय उसका संतुलन बनाकर रखना चाहिए। साथ ही, यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि चारे के साथ पानी की उपलब्धता बनी रहे, जिससे पाचन सही ढंग से हो सके।
गर्मी में दूध देने वाले पशुओं को ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है।
अगर ये मात्रा पूरी नहीं हुई तो दूध उत्पादन में गिरावट आ सकती है। गर्मी में सामान्य तापमान वाला साफ पानी ही पिलाना चाहिए और बेहतर होगा कि पानी हमेशा उनके सामने उपलब्ध रहे, ताकि वे अपनी जरूरत के अनुसार खुद पी सकें।
गर्मियों में जब पानी की उपलब्धता सीमित होती है, तब हरा चारा पशुओं के लिए संजीवनी साबित होता है। यह न केवल उनकी प्यास को शांत करता है, बल्कि स्वास्थ्य और दूध उत्पादन में भी मदद करता है। इसलिए हर पशुपालक को गर्मियों में हरे चारे और साफ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।