गर्मियों में जब ज़्यादातर किसान यह सोचते हैं कि किस फसल की खेती करें, जो कम जोखिम और ज्यादा मुनाफे वाली हो, तो ऐसे में शिमला मिर्च की येलो वंडर किस्म एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। यह किस्म गर्मियों के मौसम में भी अच्छी उपज देती है और इसकी बाजार में मांग भी जबरदस्त है।
‘येलो वंडर’ एक ऐसी हाइब्रिड किस्म है, जो पकने के बाद सुनहरे पीले रंग की हो जाती है। इसके पौधे मजबूत और सीधे बढ़ते हैं और इनसे निकलने वाली मिर्चें ब्लॉकी और आयताकार आकार की होती हैं। इसका स्वाद हल्का खट्टा होता है, जो इसे सलाद, स्टफिंग और डिप्स जैसे व्यंजनों के लिए परफेक्ट बनाता है। यह किस्म कई तरह की बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है, जिससे फसल को कम नुकसान होता है।
अप्रैल और मई का महीना शिमला मिर्च की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। इन महीनों में तापमान उस स्तर पर होता है, जो इसके अंकुरण और विकास के लिए अनुकूल होता है। इसके अलावा, इस समय बाजार में पीली शिमला मिर्च की डिमांड भी बनी रहती है। लगभग 70 से 75 दिनों में फसल तैयार हो जाती है, जिससे कम समय में किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।
इस किस्म की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है, जिसमें पानी की निकासी की सुविधा हो। खेत की मिट्टी का pH 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए। बुवाई से पहले खेत की 3-4 बार गहरी जुताई करें और उसमें गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाएं। क्यारियां ऊंची बनाएं और पौधों के बीच उचित दूरी रखें ताकि पौधों को पर्याप्त हवा और धूप मिल सके।
फसल की देखभाल कैसे करें?
शुरुआती दिनों में नियमित सिंचाई करें लेकिन पानी का जमाव न होने दें। गर्मी के मौसम में मिट्टी की नमी बनाए रखना जरूरी होता है। यदि कीटों या रोगों का असर दिखाई दे, तो जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें। फसल की सुरक्षा के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई भी करें।
उपज और कमाई का आंकलन: अगर एक हेक्टेयर भूमि में येलो वंडर किस्म की शिमला मिर्च की खेती की जाए, तो लगभग 120 से 140 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है। इस किस्म की शिमला मिर्च को बाजार में बेहतर कीमत भी प्राप्त होती है। जिससे किसान करीब ₹2.5 लाख तक की कमाई कर सकते हैं। लागत कम होने और मांग अधिक होने के कारण यह किस्म किसानों के बीच लोकप्रिय होती जा रही है।
अगर आप गर्मियों में खेती के एक लाभकारी विकल्प की तलाश में हैं, तो ‘येलो वंडर’ शिमला मिर्च की खेती जरूर करें। यह किस्म न सिर्फ रोग प्रतिरोधी है, बल्कि इसका बाजार मूल्य भी अच्छा है। कम समय, कम लागत और ज्यादा मुनाफा—यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।