कोंकण हापुस अंबा उत्पादक सहकारी संस्था के अध्यक्ष विवेक भिड़े के अनुसार, इस साल सिर्फ 30% अल्फांसो आम ही उपभोक्ताओं तक पहुंच पाएगा। इस गिरावट का मुख्य कारण सर्दियों की कमी को माना जा रहा है, जो आम की अच्छी फसल के लिए बेहद जरूरी होती है।
संगमेश्वर और रत्नागिरी के आम किसानों का कहना है कि इस बार उत्पादन में 75% तक गिरावट आई है। किसान नंदकिशोर जाधव बताते हैं, "दिसंबर के बाद मेरे पेड़ों में न तो फूल आए और न ही फल। पिछले साल की तुलना में दोगुनी कीमत मिलने के बावजूद उत्पादन लागत भी पूरी नहीं हो पा रही है।"
आमतौर पर आम के पेड़ सर्दियों के दौरान फूलते हैं और फिर 60 दिनों के अंदर फल बनने लगते हैं। लेकिन गर्म सर्दियों और समय से पहले बढ़ी गर्मी ने इस प्रक्रिया को बाधित कर दिया।
कोंकण के सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी और रायगढ़ जिलों में 39°C से अधिक तापमान दर्ज किया गया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इस क्षेत्र में मार्च की शुरुआत से ही कई बार हीटवेव की चेतावनी जारी की।
विवेक भिड़े के अनुसार, "नवंबर-दिसंबर में फूल नहीं आए, जबकि फरवरी-मार्च में फूल आने चाहिए थे। लेकिन इस साल ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इससे आम की फसल प्रभावित हुई है और उत्पादन में भारी गिरावट आई है।"
मुंबई के थोक बाजारों में भी आम की सप्लाई सामान्य से बहुत कम बताई जा रही है। व्यापारी संजय पानसरे का कहना है कि आम का सीजन जनवरी में शुरू होकर 15 मार्च के बाद चरम पर होता है, लेकिन इस बार आम की आवक काफी देर से होगी।
सीजन अब 4 अप्रैल के आसपास शुरू होकर मई के मध्य तक खत्म होने की संभावना है। कम उत्पादन के कारण अल्फांसो की कीमतों में और उछाल आ सकता है, जिससे आम उपभोक्ताओं को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
कोंकण क्षेत्र से अल्फांसो आम का निर्यात बहुत महत्त्वपूर्ण होता है, लेकिन इस साल कम आपूर्ति के कारण इसकी कीमतों में और बढ़ोतरी होने की संभावना है।
इस स्थिति से न केवल किसान परेशान हैं, बल्कि उपभोक्ताओं को भी महंगे दामों पर आम खरीदना पड़ेगा। अगर यही हाल रहा तो इस बार बाजार में अल्फांसो आम दुर्लभ हो सकता है और लोग इसे खरीदने के लिए तरस सकते हैं।