धान की कटाई के बाद खेत खाली रहने की बजाय किसान अब उसमें प्याज की खेती कर सकते हैं। यह फसल न केवल कम लागत में तैयार हो जाती है बल्कि बाजार में प्याज की ऊंची मांग होने के कारण किसानों को अच्छा मुनाफा भी देती है। प्याज की खेती से किसान 70 से 80 दिन में फसल तैयार कर सकते हैं और प्रति एकड़ लाखों रुपये तक की आमदनी कमा सकते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में प्याज के दामों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। कई बार प्याज की कीमत 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है। वर्तमान में खुदरा बाजार में प्याज 60 से 80 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है। इसे देखते हुए सरकार प्रदेश में प्याज उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। साथ ही, किसानों को निःशुल्क उन्नत किस्म के बीज भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
जिला उद्यान अधिकारी पुनीत कुमार पाठक ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत शाहजहांपुर जिले में 300 हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की खेती का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है और उन्नत बीज निशुल्क वितरित किए जा रहे हैं। सरकार चाहती है कि प्रदेश के किसान प्याज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनें ताकि भविष्य में प्याज की कीमतों पर नियंत्रण रखा जा सके।
बीज लेने के लिए जरूरी दस्तावेज
किसान जो प्याज का बीज लेना चाहते हैं, उन्हें उद्यान विभाग में पंजीकरण कराना होगा।
पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज:
पंजीकरण के बाद किसान जिला उद्यान अधिकारी के कार्यालय से निशुल्क प्याज बीज प्राप्त कर सकते हैं।
प्याज की नर्सरी तैयार करने की विधि
अधिकारी ने बताया कि प्याज की पौध तैयार करने के लिए उपजाऊ मिट्टी का चयन करें। खेत की जुताई कर समतल कर लें और बीजों को 6 से 8 घंटे पानी में भिगोकर 5 से 7.5 सेंटीमीटर की दूरी और 1 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं। नियमित सिंचाई करते रहें। जब पौध 10 से 12 सेंटीमीटर लंबी हो जाए, तब वह रोपाई के लिए तैयार मानी जाती है।
प्याज की रोपाई का तरीका
रोपाई से पहले खेत को भुरभुरा कर लें और उसमें गोबर की खाद या कंपोस्ट मिलाएं। पौधों को 20–25 सेंटीमीटर की दूरी पर और कतारों को 30–35 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि फसल तेजी से बढ़ सके।
मुनाफे का हिसाब
एक एकड़ प्याज की खेती से किसान 2 से 5 लाख रुपये तक की आमदनी कमा सकते हैं। बीज से उगाई गई प्याज को पकने में जहां 120 से 150 दिन लगते हैं, वहीं पौध से उगाई गई प्याज सिर्फ 70 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है। यानी किसान कम समय में दो गुना लाभ कमा सकते हैं।
निष्कर्ष
धान की कटाई के बाद खेत खाली छोड़ने की बजाय किसान प्याज की खेती करें तो यह उनके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। सरकार की योजनाओं और निःशुल्क बीज वितरण की पहल से किसानों को अतिरिक्त खर्च भी नहीं उठाना पड़ता। प्याज की बढ़ती मांग और बाजार में अच्छे भाव को देखते हुए, यह खेती किसानों के लिए एक स्थायी आय का मजबूत विकल्प बन सकती है।