Mauni Amavasya 2025: महाकुंभ 2025: मौनी अमावस्या का शाही स्नान, शुभ मुहूर्त और महत्व जानें

Mauni Amavasya 2025: महाकुंभ 2025: मौनी अमावस्या का शाही स्नान, शुभ मुहूर्त और महत्व जानें

महाकुंभ 2025: मौनी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं का संगम

kd-icon
कृषि दुनिया
  • 19 Jan, 2025 12:06 PM IST ,
  • Updated Sun, 19 Jan 2025 01:49 PM

कब है महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान?

महाकुंभ 2025 का तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर होगा। इस पवित्र दिन को विशेष रूप से पुण्यदायी माना जाता है। प्रयागराज के संगम तट पर लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाकर अपने पापों का नाश करेंगे और मोक्ष की प्राप्ति का संकल्प लेंगे।

शाही स्नान का मुहूर्त:

29 जनवरी को मौनी अमावस्या का शाही स्नान सूर्योदय से शुरू होगा और पूरे दिनभर चलेगा। विद्वानों के अनुसार, मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने से एक लाख गंगा स्नानों के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।

  • शुभ मुहूर्त: प्रातः 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक।
  • सबसे उत्तम समय: सुबह 5:00 से 7:00 बजे के बीच।

कब है मौनी अमावस्या?

मौनी अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। यह दिन सूर्य और चंद्रमा की विशेष स्थिति के कारण धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। वर्ष 2025 में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को पड़ रही है।

मौनी अमावस्या क्यों खास होती है?
मौनी अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन को मौन व्रत का पालन करने और संगम में स्नान करने का विशेष दिन माना जाता है।

  1. पौराणिक महत्व: ऐसा माना जाता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह दिन देवताओं और ऋषि-मुनियों के लिए भी पूजनीय है।
  2. आध्यात्मिक लाभ: मौनी अमावस्या पर मौन रहकर ईश्वर का ध्यान करने से मन शांत होता है और आत्मशुद्धि होती है।
  3. संगम में स्नान का महत्व: गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान करने से आत्मिक और शारीरिक शुद्धि होती है। यह दिन मोक्ष प्राप्ति की दिशा में एक कदम बढ़ाने का प्रतीक है।

मौसम का हाल: ठंड और कोहरे का कहर: महाकुंभ के दौरान ठंड और कोहरा श्रद्धालुओं की परीक्षा ले रहा है। मौसम विभाग ने अगले 10 दिनों में घने कोहरे, ठंडी हवाओं और बूंदाबांदी की संभावना जताई है। न्यूनतम तापमान 8-9 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है।

  1. ठंड से बचने के सुझाव:
    • गर्म कपड़े पहनें और टोपी, मफलर और दस्ताने का इस्तेमाल करें।
    • गर्म पानी पीएं और अदरक वाली चाय का सेवन करें।
    • मेला क्षेत्र में उपलब्ध अलाव का लाभ उठाएं।
  2. सुरक्षा उपाय:
    प्रशासन ने ठंड और कोहरे से बचाव के लिए पूरे मेला क्षेत्र में अलाव की व्यवस्था की है।

स्वास्थ्य और सुरक्षा सेवाएं: महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का व्यापक प्रबंध किया गया है।

  • प्राथमिक चिकित्सा केंद्र: मेला क्षेत्र में कई स्थानों पर स्थापित।
  • एम्बुलेंस सेवाएं: चौबीसों घंटे उपलब्ध।
  • मोबाइल स्वास्थ्य शिविर: दूरस्थ क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
  • सुरक्षा के उपाय: पुलिस बल और स्वयंसेवक श्रद्धालुओं की मदद के लिए तैनात हैं।

खाने-पीने और रहने की व्यवस्था: महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन ने खाने-पीने और रहने की विशेष व्यवस्था की है।

  1. भोजन:
    • मेला क्षेत्र में कई लंगर और अन्नक्षेत्र सेवा उपलब्ध हैं।
    • निशुल्क शुद्ध शाकाहारी भोजन का वितरण किया जा रहा है।
  2. आवास:
    • अस्थायी टेंट, धर्मशालाएं और विश्रामालय।
    • साफ-सफाई और गर्म बिस्तरों की व्यवस्था।

मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़: प्रयागराज का संगम तट इस दिन श्रद्धा और आस्था का महासंगम बन जाता है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान कर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। साधु-संतों के अखाड़े, कल्पवासी और देश-विदेश से आए श्रद्धालु इस शुभ अवसर पर संगम की पवित्रता को अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं।

महाकुंभ का महत्व: महाकुंभ न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह भारत की विविध संस्कृतियों, परंपराओं और आस्थाओं का संगम है। मौनी अमावस्या का दिन इस महायज्ञ का सबसे खास दिन होता है।

मौनी अमावस्या पर महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान आस्था, सेवा और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। प्रयागराज के संगम तट पर इस दिन की दिव्यता और पवित्रता हर श्रद्धालु के लिए आत्मिक संतोष और शांति का अनुभव कराती है। ठंड और कोहरे के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह महाकुंभ की विशेषता को और बढ़ा देता है।

ये भी पढें...

यूपी में घना कोहरा छाया, लखनऊ समेत कई जिलों में कोल्ड डे का अलर्ट, जानें आज कैसा रहेगा मौसम

Advertisement
Advertisement