कब है महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान?
महाकुंभ 2025 का तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर होगा। इस पवित्र दिन को विशेष रूप से पुण्यदायी माना जाता है। प्रयागराज के संगम तट पर लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाकर अपने पापों का नाश करेंगे और मोक्ष की प्राप्ति का संकल्प लेंगे।
29 जनवरी को मौनी अमावस्या का शाही स्नान सूर्योदय से शुरू होगा और पूरे दिनभर चलेगा। विद्वानों के अनुसार, मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने से एक लाख गंगा स्नानों के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।
मौनी अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। यह दिन सूर्य और चंद्रमा की विशेष स्थिति के कारण धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। वर्ष 2025 में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को पड़ रही है।
मौनी अमावस्या क्यों खास होती है?
मौनी अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन को मौन व्रत का पालन करने और संगम में स्नान करने का विशेष दिन माना जाता है।
मौसम का हाल: ठंड और कोहरे का कहर: महाकुंभ के दौरान ठंड और कोहरा श्रद्धालुओं की परीक्षा ले रहा है। मौसम विभाग ने अगले 10 दिनों में घने कोहरे, ठंडी हवाओं और बूंदाबांदी की संभावना जताई है। न्यूनतम तापमान 8-9 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है।
स्वास्थ्य और सुरक्षा सेवाएं: महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का व्यापक प्रबंध किया गया है।
खाने-पीने और रहने की व्यवस्था: महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन ने खाने-पीने और रहने की विशेष व्यवस्था की है।
मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़: प्रयागराज का संगम तट इस दिन श्रद्धा और आस्था का महासंगम बन जाता है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान कर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। साधु-संतों के अखाड़े, कल्पवासी और देश-विदेश से आए श्रद्धालु इस शुभ अवसर पर संगम की पवित्रता को अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं।
महाकुंभ का महत्व: महाकुंभ न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह भारत की विविध संस्कृतियों, परंपराओं और आस्थाओं का संगम है। मौनी अमावस्या का दिन इस महायज्ञ का सबसे खास दिन होता है।
मौनी अमावस्या पर महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान आस्था, सेवा और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। प्रयागराज के संगम तट पर इस दिन की दिव्यता और पवित्रता हर श्रद्धालु के लिए आत्मिक संतोष और शांति का अनुभव कराती है। ठंड और कोहरे के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह महाकुंभ की विशेषता को और बढ़ा देता है।
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