भारत में गेहूं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह स्थिति न केवल किसानों और व्यापारियों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी चिंता का विषय बन चुकी है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद, गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करना कठिन साबित हो रहा है। आइए जानते हैं कि वर्तमान हालात क्या हैं और भविष्य में क्या बदलाव संभावित हैं।
देशभर की मंडियों में गेहूं के भाव अलग-अलग हैं। यहां प्रमुख मंडियों के वर्तमान भाव दिए गए हैं:
मंडी | गेहूं के भाव (₹ प्रति क्विंटल) |
दिल्ली मंडी | 3165 |
सिरसा मंडी | 2850 |
ऐलनाबाद मंडी | 2911 |
भुना मंडी | 3060 |
सीतापुर मंडी | 2880 |
गोंडा मंडी | 2930-2990 |
करनाल मंडी | 3060 |
प्रयागराज मंडी | 2980-2990 |
जयपुर मंडी | 3130-3150 |
सरकार ने गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹150 बढ़ाकर ₹2425 प्रति क्विंटल कर दी है। साथ ही, इस बार बुवाई क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले 6 लाख हेक्टेयर की वृद्धि का अनुमान है।
महंगाई का असर और उपभोक्ता की चिंता:
गेहूं एक अनिवार्य खाद्यान्न है, जिसकी बढ़ती कीमतों का सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। यदि समय रहते कीमतों पर काबू नहीं पाया गया, तो उपभोक्ता को महंगाई का बड़ा झटका झेलना पड़ेगा।
सरकार के लिए संभावित कदम:
क्या गेहूं के दाम 3200 पार करेंगे?
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में गेहूं के दाम ₹3200 प्रति क्विंटल का आंकड़ा पार कर सकते हैं।
भारत में गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। सही समय पर ठोस कदम उठाकर ही कीमतों को स्थिर किया जा सकता है। अन्यथा, यह समस्या आम जनता के लिए गंभीर आर्थिक संकट का कारण बन सकती है।