हिंदू धर्म में कुंभ मेले का विशेष महत्व है। मान्यता है कि कुंभ मेले में पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।
हर 12 साल में पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है, लेकिन 12 पूर्ण कुंभ के बाद आने वाला महाकुंभ अत्यधिक महत्वपूर्ण और दुर्लभ माना जाता है। इस वर्ष 144 वर्षों के बाद महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। इस महाकुंभ में कुल 6 शाही स्नान निर्धारित हैं। इनमें से दो शाही स्नान पहले ही संपन्न हो चुके हैं, जबकि आज तीसरा शाही स्नान (मौनी अमावस्या) हो रहा है। आइए जानते हैं शेष शाही स्नानों की तिथियां और मेले के समापन की जानकारी।
महाकुंभ 2025 का समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन होगा। इस दिन अंतिम शाही स्नान के साथ यह ऐतिहासिक आयोजन समाप्त हो जाएगा। अंतिम स्नान पर संगम तट पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है।
महाकुंभ 2025 के बाद अगला कुंभ मेला 2028 में उज्जैन में आयोजित किया जाएगा। इसे सिंहस्थ कुंभ कहा जाता है, जो क्षिप्रा नदी के तट पर लगता है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है।
महाकुंभ का धार्मिक महत्व: महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सनातन धर्म की परंपराओं, साधु-संतों और अखाड़ों के मिलन का महोत्सव है। कुंभ के दौरान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, कथा, प्रवचन, भजन-कीर्तन और सामाजिक कार्यों का आयोजन किया जाता है। यह मेला न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि देश और दुनिया के लोगों को भारतीय संस्कृति और परंपरा से भी जोड़ता है।
महाकुंभ 2025 का आयोजन अपने आप में ऐतिहासिक है। यदि आप भी इस महाकुंभ में भाग लेना चाहते हैं, तो शेष शाही स्नान की तिथियों पर संगम पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाएं और इस अद्वितीय अनुभव का हिस्सा बनें। खासकर अंतिम शाही स्नान (महाशिवरात्रि) पर पवित्र स्नान करके अपने जीवन को और भी पवित्र बनाएं।
महत्वपूर्ण: महाकुंभ में जाने से पहले स्थानीय दिशा-निर्देशों और नियमों का पालन अवश्य करें और सभी आवश्यक व्यवस्थाओं की जानकारी रखें।
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