खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में से एक मक्का (Maize Crop) इन दिनों 10 से 12 दिन की अवस्था में है। लगातार हो रही बारिश और खेतों में जलभराव की स्थिति के कारण कई स्थानों पर मक्के की फसल पर कीटों का प्रकोप बढ़ गया है। हाल ही में कृषि विभाग की टीम ने खेतों का निरीक्षण किया और पाया कि मक्के में फॉल आर्मी वर्म और सैनिक कीट (Armyworm and Cutworm) का प्रकोप तेजी से फैल रहा है।
कृषि विभाग ने किसानों को इन कीटों से फसल को बचाने के लिए आवश्यक कीटनाशकों और सावधानियों की जानकारी दी है, जिसे अपनाकर किसान अपनी फसल को नुकसान से बचा सकते हैं।
फॉल आर्मी वर्म (Spodoptera frugiperda) मक्का फसल का एक घातक कीट है। यह कीट मुख्यतः मक्के की पत्तियों, बालियों और कल्लों को खाकर फसल को काफी हानि पहुंचाता है। इससे मक्के की उपज में भारी गिरावट आ सकती है।
कृषि विभाग द्वारा निम्नलिखित कीटनाशकों के उपयोग की सलाह दी गई है:
सैनिक कीट भी मक्के की बालियों को काटकर फसल को नुकसान पहुँचाता है। यह कीट रात में सक्रिय होता है और मक्का के नवविकसित हिस्सों को खाता है।
कृषि विभाग द्वारा किसानों को निम्नलिखित उपाय अपनाने की सलाह दी गई है:
फफूंद रोगों से मक्का और सोयाबीन को सुरक्षित रखने के लिए कृषि विभाग ने टेब्यूकोनाजोल + सल्फर दवा के उपयोग की सलाह दी है:
इस निरीक्षण में कृषि विभाग की वरिष्ठ टीम उपस्थित रही:
इन अधिकारियों ने किसानों को मक्के की फसल को सुरक्षित रखने और कीटों के बढ़ते प्रकोप से बचने के लिए उपयुक्त उपाय अपनाने की सलाह दी है।
मक्के की फसल में फॉल आर्मी वर्म और सैनिक कीट का प्रकोप समय पर नियंत्रित न किया जाए, तो भारी नुकसान हो सकता है। कृषि विभाग द्वारा बताए गए जैविक और रासायनिक उपायों को अपनाकर किसान अपने खेतों को सुरक्षित रख सकते हैं।
साथ ही, फसल चक्र और प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग जैसे निवारक उपायों को अपनाकर भविष्य में इस तरह के कीट हमलों से बचाव किया जा सकता है। किसान यदि सुझाए गए कीटनाशकों का सटीक मात्रा में और सही समय पर उपयोग करें, तो फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों में सुधार संभव है।