Mustard Farming: सरसों की खेती, किस्में, बुवाई का सही समय और तरीके के बारे में जानें

Mustard Farming: सरसों की खेती, किस्में, बुवाई का सही समय और तरीके के बारे में जानें

सरसों की खेती

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कृषि दुनिया
  • 14 Nov, 2024 11:30 AM IST ,
  • Updated Thu, 14 Nov 2024 12:30 PM

भारत में कृषि में सरसों का एक महत्वपूर्ण स्थान है, खासकर रबी सीजन में। सरसों की खेती से किसानों को अच्छा लाभ होता है, और यदि आप भी सरसों की खेती करना चाहते हैं, तो अक्टूबर से नवंबर के बीच यह सबसे उपयुक्त समय है। इस दौरान कुछ उन्नत किस्मों की बुवाई की जाती है, जिनसे अधिक पैदावार और बेहतर तेल की गुणवत्ता प्राप्त होती है। आइए जानते हैं अक्टूबर में बुवाई के लिए सबसे लाभकारी सरसों की किस्मों के बारे में।

1. पूसा ज्वालामुखी (Pusa Jwalamukhi Mustard Variety)

यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूसा संस्थान द्वारा विकसित की गई है।

  • उत्पादकता: 42-45% तेल की मात्रा और प्रति एकड़ 25-30 क्विंटल सरसों की पैदावार।
  • लाभ: उच्च उत्पादकता और रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता।
  • उपयुक्त क्षेत्र: उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान।

2. पूसा बोल्ड (Pusa Bold Mustard Variety)

यह भी ICAR के पूसा संस्थान द्वारा विकसित की गई एक उन्नत किस्म है।

  • उत्पादकता: 40-42% तेल की मात्रा और प्रति एकड़ 20-25 क्विंटल पैदावार।
  • लाभ: कम लागत में अधिक पैदावार और जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता।
  • उपयुक्त क्षेत्र: विशेष रूप से उत्तर भारत।
  • समय: 120-130 दिनों में तैयार हो जाती है।

3. पूसा अग्रनी (Pusa Agrani Mustard Variety)

यह किस्म उच्च उत्पादकता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है।

  • उत्पादकता: 40-42% तेल की मात्रा और प्रति एकड़ 22-25 क्विंटल पैदावार।
  • उपयुक्त क्षेत्र: उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान।
  • समय: 120-125 दिनों में तैयार हो जाती है।

4. पीएल 501 (PL 501 Mustard Variety)

यह किस्म पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है और रोग प्रतिरोधक क्षमता रखती है।

  • उत्पादकता: 42-45% तेल की मात्रा और प्रति एकड़ 25-30 क्विंटल पैदावार।
  • उपयुक्त क्षेत्र: पंजाब, हरियाणा, राजस्थान।
  • समय: 120-125 दिनों में तैयार हो जाती है।

5. आरएलसी-1 (RLC-1 Mustard Variety)

यह एक और उन्नत किस्म है जिसे ICAR ने विकसित किया है।

  • उत्पादकता: 42-45% तेल की मात्रा और प्रति एकड़ 25-30 क्विंटल पैदावार।
  • उपयुक्त क्षेत्र: पंजाब, हरियाणा, उत्तर भारत।
  • समय: 120-125 दिनों में तैयार हो जाती है।

सरसों की उन्नत किस्मों की बुवाई कैसे करें?

सरसों की खेती से पहले कुछ जरूरी कदम उठाने होते हैं ताकि अच्छी पैदावार मिल सके।

  1. भूमि की तैयारी:
    • खेत को ट्रैक्टर, रोटवेटर और कल्टीवेटर से अच्छे से जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी और समतल हो जाए।
  2. बीज की मात्रा:
    • एक एकड़ में लगभग 1 किलो बीज की आवश्यकता होती है।
  3. बुवाई विधि:
    • छिड़कवां विधि: बीज को खेत में बिखेर कर बोना।
    • कतार विधि: बीज को 30 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में बोना।
  4. बीज गहराई:
    • बीज को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर बोना चाहिए।
  5. खाद और उर्वरक:
    • मिट्टी की जांच के अनुसार, 100 किलो सिंगल सुपर फास्फेट, 35 किलो यूरिया, और 25 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग गोबर की खाद के साथ करें।

सरसों की उन्नत किस्मों को उचित समय पर और सही तरीके से बोने से किसानों को उच्च गुणवत्ता की फसल और बेहतर पैदावार मिल सकती है, जिससे वे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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